नई दिल्ली : नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने सोमवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा संकटग्रस्त गो फर्स्ट एयरलाइन के दिवाला आदेश को बरकरार रखा है. साथ ही ट्रिब्यूनल के आदेश में कुछ बदलाव करने का निर्देश भी दिया है. एनसीएलएटी ने पट्टेदारों को विमान का कब्जा वापस लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया और उन्हें गो फर्स्ट दिवाला कार्यवाही मामले में किसी भी उपाय के लिए NCLT को ट्रांसफर करने के लिए कहा है.
एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ सुनवाई :10 मई को, एनसीएलटी ने स्वैच्छिक दिवाला के लिए गो फर्स्ट की याचिका को स्वीकार कर लिया और कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) की कार्यवाही शुरू करने के लिए मंजूरी दे दी. इस फैसले के तहत एनसीएलटी ने गो फर्स्ट को पट्टेदारों और उधारदाताओं द्वारा वसूली से सुरक्षा प्रदान की. एनसीएलएटी के चेयरपर्सन जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को कहा 'NCLT के 10 मई, 2023 के गो फर्स्ट के दिवालिया होने के आदेश को बरकरार रखा जाता है.'
चार लेंडरों ने दायर की थी याचिका : आपको बता दें कि विमान पट्टे पर देने वाले लेंडर एनसीएलटी के फैसले का विरोध कर रहे थे, जिसमें NCLT ने गो फर्स्ट के दिवालिया समाधान याचिका के हक में फैसला सुनाया था. लेंडर इसी फैसेल के खिलाफ एनसीएलएटी में याचिका दायर की थी, जिसका सोमवार को फैसला आया.याचिका दायरकरने वालो में SMBC एविएशन कैपिटल लिमिटेड, GY एविएशन, SFV एयरक्राफ्ट होल्डिंग्स और इंजन लीजिंग फाइनेंस BV (ELFC) जैसे पट्टेदार शामिल रहें.