नई दिल्ली:नारायण मूर्ति ने हाल ही कहा कि उनको एक फैसले पर अफसोस होता है. एनआर नारायण मूर्ति ने पत्नी सुधा मूर्ति को इंफोसिस में शामिल नहीं होने देने के अपने फैसले पर खेद व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने अब अपनी स्थिति बदल दी है. उन्होंने कहा कि मैं गलत था. अब मुझे इस पर विश्वास नहीं है. मुझे लगता है कि मैं उन दिनों जो कर रहा था वह गलत था. नारायण मूर्ति ने मीडिया चैनल को एक इंटरव्यू में कहा कि मैं गलत तरीके से आदर्शवादी था और कुछ मायनों में, मुझे लगता है, मैं उन दिनों के माहौल से बहुत प्रभावित था.
नारायण मूर्ति को 28 साल के उम्र में हुआ था प्यार
बता दें कि 28 साल की उम्र में नारायण मूर्ति को एक इंजीनियर सुधा कुलकर्णी से प्यार हो गया था. सुधा कुलकर्णी औपचारिक रूप से टेल्को, जो अब टाटा मोटर्स है, में अपनी जगह बना चुकी थी. कंपनी के शॉप फ्लोर पर काम करने वाली पहली महिला बन गई थी. 1981 में, यह सुधा मूर्ति ही थीं जिन्होंने अपने पति को इंफोसिस की स्थापना के लिए शुरुआती पैसे के रूप में 10,000 रुपये दिए थे. यह पैसा उसके निजी इमरजेंसी फंड से आया था. जब उन्होंने औपचारिक रूप से इंफोसिस में शामिल होने के लिए कहा, तो नारायण मूर्ति ने उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया कि परिवार के सदस्यों को कंपनी में शामिल नहीं होना चाहिए.