हैदराबाद: आर्थिकपरेशानी के समय जल्दबाजी में लिया गया फैसला बड़ा नुकसान और तकलीफदेह हो सकता है. जिन लोगों के पास आय का नियमित स्रोत नहीं है या रोजगार खो दिया है, वे गलत वित्तीय निर्णय लेते हैं. यही वह जगह है जहां माइक्रो फाइनेंस कंपनियां जरूरतमंद लोगों की कमजोरियों का फायदा उठाकर उन्हें अपना शिकार बनाती हैं. ऐसे बेइमान माइक्रो लेंडर के जाल में फंसने से बचने के लिए बेरोजगार युवाओं और असावधान छात्रों को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए.
माइक्रो लेंडर के बारे में जरुरी बातें पता करें :माइक्रो लोन के लिए जाते समय सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण सावधानी यह जांचना है कि लोन ऐप फर्म का कोई ऑफिस पता है या नहीं. यहां तक कि माइक्रो वित्त में व्यवसाय करने के लिए, एक फर्म को निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं या नहीं. उनके पास भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से मोबाइल-ओनली NBFC (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी) का लाइसेंस है या नहीं. इन सारी बातों के बारे में जांच कर लेना चाहिए.
माइक्रो लेंडर जरुरतमंद युवाओं को बनाते हैं अपना टार्गेट:स्मार्ट फोन और डिजिटल मीडिया के माध्यम से लोन देने वाले माइक्रो लेंडर जरूरतमंद युवाओं का ध्यान आकर्षित करने में सक्षम हैं. सही डॉक्यूमेंट के बिना बैंकों और नियमित वित्तीय संस्थानों से लोन लेना असंभव है. ऐसे में माइक्रो लेंडर्स न तो कोई दस्तावेज मांग रहे हैं और न ही कर्जदारों के हस्ताक्षर. वे जरुरतमंद कर्जदारों के बीच अत्यावश्यकता की भावना पैदा करते हैं और उन्हें डिजिटल लोन लेने के लिए मजबूर करते हैं.