नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मोदी ने आज अपने 73वें जन्मदिन के मौके पर 'पीएम विश्वकर्मा योजना' लॉन्च कर दी है. जो देश के कारीगरों और शिल्पकारों को समर्पित है. इस योजना के तहत सरकार कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक कौशल के अभ्यास को बढ़ावा देना और मजबूत करने के लिए 13,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इस योजना का मकसद कारीगरों के पारंपरिक कौशल को प्रशिक्षण के माध्यम से और बेहतर करना है. इस योजना का जिक्र इस बार के बजट में था और पीएम मोदी ने भी 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से भी इसकी घोषणा की थी.
3 लाख तक का मिलेगा लोन
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के 30 लाख से अधिक पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सीधा लाभ मिलेगा. स्कीम के तहत सुनार, लोहार, नाई, कुम्हार और मूर्तिकार जैसे कारीगरों को कुल मिलाकर 3 लाख रुपये का लोन दिया जाएगा. पहले चरण में रकम 1 लाख रुपये होगी. वहीं, दूसरे चरण में और 2 लाख रुपये का लोन दिया जाएगा. वो भी महज 5 फीसदी के इंटरेस्ट रेट पर. इसके अलावा कारीगरों को डिजिटल ट्रांजेक्शन और बाजार प्रोत्साहन में भी मदद किया जाएगा.
ट्रेनिंग के दौरान मिलेगा 500 स्टाइपेंड
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों के कौशल को निखारने के लिए उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी. इस ट्रेनिंग सेशन में 18 ट्रेड (लोहार, सोनार, ताला बनाने वाले, कुम्हार, मूर्तिकार, नाव बनाने वाले, राज मिस्त्री और अन्य) से जुड़े लोगों को शामिल किया जाएगा. साथ ही उन्हें ट्रेनिंग के एवज में उन्हें प्रतिदिन 500 रुपये का मेहनताना भी दिया जाएगा.