नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी और ओआईएल को पुराने क्षेत्रों से नई गैस के उत्पादन के लिए कीमतों पर 20 प्रतिशत प्रीमियम मिल सकता है. सरकार द्वारा किरीट पारिख की अगुवाई में नियुक्त गैस मूल्य समीक्षा समिति ने इसकी सिफारिश की है. समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा पुराने क्षेत्रों से निकलने वाली प्राकृतिक गैस पर पांच साल के लिए मूल्य सीमा लागू करने की सिफारिश भी की है. सीएनजी और पाइपलाइन से आने वाली रसोई गैस-पीएनजी की कीमतों में नरमी लाने के लिए ऐसा किया जाएगा.
समिति ने पिछले सप्ताह पेट्रोलियम मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. पीटीआई-भाषा ने रिपोर्ट की प्रति देखी है, जिसके मुताबिक ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) और ऑयल इंडिया लि. (OIL) की विरासत या पुराने क्षेत्रों (एपीएम) से उत्पादित प्राकृतिक गैस के लिए मानक कीमत की सिफारिश की गई है. यह कीमत भारत में आयातित कच्चे तेल की लागत का 10 प्रतिशत है. हालांकि, यह कीमत पूरी तरह 2027 से लागू होगी.
पारिख ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की दरों से जोड़ने के बजाय घरेलू स्तर पर उत्पादित गैस की कीमतें आयातित कच्चे तेल के भाव से जोड़ी जानी चाहिए. इसके लिए गैस का आधार एवं अधिकतम मूल्य दायरा तय किया जाए. सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी ओआईएल को चार डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (प्रति इकाई) के न्यूनतम मूल्य और 8.57 डॉलर की मौजूदा दर के मुकाबले अब अधिकतम 6.5 डॉलर का भुगतान किया जाएगा.