नई दिल्ली : आयकर विभाग ने हाल ही में कर्नाटक में कुछ सहकारी बैंकों से जुड़े एक मामले में 16 अलग-अलग स्थानों पर तलाशी और जब्ती अभियान चलाया, जिसके तहत मूल्यवान और आपत्तिजनक दस्तावेजों की बरामदगी हुई और 1,000 करोड़ रुपये के फर्जी खर्च (बोगस फंड) का पता चला है. एक आईटी अधिकारी ने कहा कि ये सहकारी बैंक अपने ग्राहकों की विभिन्न व्यावसायिक संस्थाओं के धन को इस तरह से रूट करने में लगे हुए हैं, ताकि उन्हें अपनी टैक्स देनदारियों से बचने के लिए उकसाया जा सके. तलाशी कार्रवाई में 3.3 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाब नकदी और 2 करोड़ रुपये से अधिक के बेहिसाब सोने के आभूषण जब्त किए गए हैं.
तलाशी के दौरान हार्ड कॉपी दस्तावेजों और सॉफ्ट कॉपी डेटा के रूप में बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक सबूत पाए गए और जब्त किए गए है. जब्त किए गए सबूतों से पता चला है कि ये सहकारी बैंक विभिन्न व्यापारिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न काल्पनिक गैर-मौजूद संस्थाओं के नाम पर जारी किए गए बियरर चेकों में बड़े पैमाने पर छूट देने में शामिल थे. अधिकारी ने कहा कि इन व्यापारिक संस्थाओं में ठेकेदार, रियल एस्टेट कंपनियां आदि शामिल हैं. इस तरह के बियरर चेक को भुनाते समय केवाईसी मानदंडों का पालन नहीं किया गया था. छूट के बाद की राशि इन सहकारी बैंकों के साथ बनाए गए कुछ सहकारी समितियों के बैंक खातों में जमा की गई थी.
आईटी विभाग ने कहा कि यह भी पता चला है कि कुछ सहकारी समितियों ने बाद में अपने खातों से नकदी में धनराशि निकाल ली और नकदी व्यावसायिक संस्थाओं को वापस कर दी. बड़ी संख्या में चेकों की इस तरह की छूट का उद्देश्य नकद निकासी के वास्तविक स्रोत को छिपाना था और व्यापारिक संस्थाओं को फर्जी खर्चें को बुक करने में सक्षम बनाना था. इस कार्यप्रणाली में, सहकारी समितियों को एक वाहक के रूप में उपयोग किया गया है.
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