नई दिल्ली : वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं मध्यम अवधि में मजबूत रहने का अनुमान लगाया है. बृहस्पतिवार को एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 से लेकर 2025-26 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में सालाना 6-7.1 प्रतिशत की वृद्धि होगी. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि स्वस्थ कॉरपोरेट बही-खातों और अन्य संरचनात्मक सुधार होने से बैंकों का फंसा कर्ज मार्च, 2025 तक कुल अग्रिम के तीन-3.5 प्रतिशत तक घट जाएगा. इसके अलावा भारत में ब्याज दरों में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना नहीं होने से बैंकिंग उद्योग के लिए जोखिम भी सीमित होने का अनुमान जताया गया है.
आर्थिक वृद्धि पर पडे़गा कम असर
एसएंडपी की प्राथमिक ऋण विश्लेषक दीपाली सेठ छाबड़िया ने कहा कि असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण तेजी से बढ़े हैं और यह फंसे कर्जों की वृद्धि में भूमिका निभा सकते हैं. लेकिन हमारा मत है कि खुदरा ऋण के लिए अंडरराइटिंग के मानक आमतौर पर अच्छे रहते हैं और इस उत्पाद श्रेणी के लिए चूक का समग्र स्तर स्वीकार्य सीमा के भीतर रहता है.रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक अनिश्चितताओं का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कम असर पड़ेगा. हालांकि, धीमी वैश्विक वृद्धि और बाहरी मांग आर्थिक गतिविधियों पर असर डालेगी और मुद्रास्फीति को तेज कर सकती है. लेकिन भारत की वृद्धि घरेलू स्तर पर केंद्रित होने से उम्मीद है कि आर्थिक वृद्धि पर इसका कम असर होगा.