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आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं बढ़ेगी भारत की अर्थव्यवस्था: एमपीसी सदस्य - MPC member Jayant R Verma

एमपीसी के सदस्य जयंत आर वर्मा का मानना है कि भारत की आर्थिक वृद्धि अत्यंत नाजुक स्थिति में है. उनका कहना है कि आकांक्षाओं के अनुरूप भारत की अर्थव्यवस्था नहीं बढ़ेगी.

India's economy will not grow as per expectations (symbolic picture)
आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं बढ़ेगी भारत की अर्थव्यवस्था (प्रतीकात्मक चित्र)

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Published : Dec 23, 2022, 1:45 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत आर वर्मा का मानना है कि भारत की आर्थिक वृद्धि अत्यंत नाजुक स्थिति में है और इसे अभी पूरा समर्थन देने की जरूरत है. वर्मा ने शुक्रवार को एजेंसी से कहा कि निजी उपभोग और पूंजी निवेश ने अबतक रफ्तार नहीं पकड़ी है, ऐसे में अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि कमजोर बनी हुई है.

उन्होंने इस बात की आशंका जताई कि भारत की अर्थव्यवस्था अपनी आकांक्षाओं और जरूरत के हिसाब से वृद्धि दर्ज नहीं कर पाएगी. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवथा को आगे बढ़ाने के चार इंजन हैं. इनमें से दो इंजन निर्यात और सरकार के खर्च ने महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने में मदद की, लेकिन अब इसमें अन्य इंजनों को बैटन अपने हाथ में लेने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, 'मैं अर्थव्यवस्था की वृद्धि के चार इंजन के बारे में सोचता हूं. ये हैं---निर्यात, सरकारी खर्च, पूंजी निवेश और निजी उपभोग.' वर्मा ने कहा, 'वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से निर्यात वृद्धि का मुख्य कारक नहीं रह सकता. वहीं सरकार का खर्च भी राजकोषीय दिक्कतों की वजह से सीमित है.' एमपीसी के सदस्य ने कहा कि विशेषज्ञ काफी समय से इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि निजी निवेश रफ्तार पकड़े. हालांकि, भविष्य की वृद्धि संभावनाओं को लेकर चिंता की वजह से पूंजी निवेश प्रभावित हो रहा है.

उन्होंने कहा, 'महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या आगामी महीनों में दबी मांग ठंडी पड़ने के बाद चौथे इंजन यानी निजी उपभोग की तेजी जारी रहेगी.' वर्मा ने कहा, 'इन स्थितियों को देखते हुए मुझे आशंका है कि आर्थिक वृद्धि अत्यंत नाजुक स्थिति में है और इसे पूरे समर्थन की जरूरत है.' इससे पहले इसी महीने भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए वृद्धि दर के अनुमान को सात से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है.

दूसरी ओर विश्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है. भारतीय प्रबंध संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-अहमदाबाद) के प्रोफेसर वर्मा ने हालांकि भरोसा जताया कि दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत के समक्ष मंदी का जोखिम नहीं है. उन्होंने कहा कि वास्तव में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अन्य बड़े देशों से बेहतर है.

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वर्मा ने कहा, 'समस्या यह है कि भारत की आकांक्षा का स्तर ऊंचा है, विशेषरूप से यह देखते हुए कि हमने दो साल महामारी की वजह से गंवा दिए हैं.' उन्होंने कहा कि भारत के साथ जनसांख्यिकीय लाभ है. ऐसे में श्रमबल में शामिल होने वाले युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए ऊंची वृद्धि की जरूरत है. वर्मा ने कहा, 'मुझे इस बात की आशंका नहीं है कि भारत शेष दुनिया से धीमी रफ्तार से बढ़ेगा. मुझे आशंका इस बात की है कि हम अपनी आकांक्षाओं और जरूरत के हिसाब से वृद्धि हासिल नहीं कर पाएंगे.'

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