नयी दिल्ली:भारी-भरकम पैकेज ऑफर करने के कारण युवाओं की ड्रीम जॉब की सूची में जगह बनाने वाले भारतीय स्टार्टअप्स ने हजारों युवा कर्मचारियों को कॉस्ट कटिंग और रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर एक झटके में बाहर का रास्ता दिखा दिया. इनमें से अधिकतर कर्मचारी स्टार्टअप्स द्वारा ऑफर किए जा रहे शानदार पैकेज के कारण अपनी अच्छी-खासी स्थिर नौकरियां छोड़कर स्टार्टअप का हिस्सा बने थे. कोविड काल में देश में स्टार्टअप का बुलबुला कुछ ज्यादा ही तेजी से उभरा था. अब ये स्टार्टअप अपने वित्तीय बोझ को तेजी से कम करने और विस्तार की नीति के तहत छह हजार से अधिक कर्मचारियों को काम से निकाल चुके हैं.
एडटेक बायजूस के कोडिंग प्लेटफॉर्म व्हाइट हैट जूनियर ने ऑफिस ज्वाइन कराने के नाम पर अपने एक हजार कर्मचारियों को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया. स्टार्टअप से जुड़े सूत्रों ने बताया कि कुल पांच हजार कर्मचारियों में से सेल्स एंड सपोर्ट के करीब तीन हजार कर्मचारियों को मुंबई या गुरुग्राम रिपोर्ट करने के लिए कहा गया. इनमें वैसे शिक्षक भी शामिल थे, जो इससे फुल टाइम नहीं जुड़े थे. बायजूस की सेल्स टीम के भी कई कर्मचारियों को दूसरे लोकेशन पर ज्वाइन करने के लिए कहे जाने के कारण नौकरी छोड़नी पड़ी. ये बहुत ही कम वेतन पर काम करते थे.
इसी तरह ऐडटेक प्लेटफॉर्म अनएकेडमी ने भी करीब 600 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया. अनएकेडमी के सह संस्थापक एवं सीईओ गौरव मुंजाल ने पहले ही कहा था कि फंडिंग की कमी से डेढ़ साल तक जूझना पड़ सकता है और इससे निपटने और लाभप्रदता बनाए रखने के लिए, वह कभी भी कॉस्ट कटिंग यानी लागत में कमी कर सकते हैं. मुंजाल ने अपने कर्मचारियों को इस संबंध में पत्र लिखा था. उन्होंने कहा था कि सबको बाधाओं के बीच काम करना सीखना होगा और हर हालत में लाभप्रदता पर ध्यान देना होगा. यह सबके लिए परीक्षा का समय है. वहीं वित्तीय बाधा का हवाला देते हुए वेदांतू ने भी 424 कर्मचारियों की छंटनी की है.
वेदांतू के सीईओ एवं सह संस्थापक वाम्सी कृष्णा ने इस छंटनी के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध, आर्थिक मंदी की आशंका, अमेरिका द्वारा की जा रही मौदिक्र नीति में सख्ती आदि को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने गत सप्ताह कहा कि उन्हें अपने 5,900 कर्मचारियों में से करीब से सात फीसदी यानी 424 कर्मचारियों को काम से हटाना पड़ रहा है. हेल्थटेक प्लेटफॉर्म एमफाइन ने भी 500 में से 50 फीसदी से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. एफफाइन के निवेशकों में शामिल प्राइम वेंचर्स पाटर्नर्स के मैनेजिंग पार्टनर श्रीपति आचार्य ने बताया कि मैक्रो स्तर पर बदलाव के कारण फंडिंग हासिल करने में परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में कर्मचारियों की छंटनी को टाला नहीं जा सकता है. यह किसी भी उद्यमी के लिए आसान निर्णय नहीं होता है.