नई दिल्ली: 1 अप्रैल से शुरू हुए 2022-23 वित्तीय वर्ष के लिए कुल खर्च 700 अरब रुपये से 800 अरब रुपये (8.59 अरब डॉलर से 9.82 अरब डॉलर) तक हो सकता है. इस बात की जानकारी कुछ सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर दी है. भारत सरकार राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाने की इच्छुक है क्योंकि यह 4 प्रतिशत से 5 प्रतिशत के ऐतिहासिक स्तरों से काफी ऊपर है, जो 2020-21 में कोविड-19 महामारी के पहले वर्ष के दौरान 9.3 प्रतिशत के रिकॉर्ड तक पहुंच गया है.
इस वित्तीय वर्ष में भारत सरकार द्वारा खर्च तीन साल में पहली बार बजट से कम हो सकता है, इस मामले की प्रत्यक्ष जानकारी वाले दो स्रोतों ने रॉयटर्स को सकल घरेलू उत्पाद के 6.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक पुश दिया गया है. हालांकि, ईंधन पर कर में कटौती, वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से, राजस्व में 1 ट्रिलियन रुपये से अधिक की कमी आ सकती है.
सूत्रों में से एक ने कहा कि इस साल कुल राजस्व 1.5 ट्रिलियन से 2 ट्रिलियन रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है. सूत्रों के अनुसार, राजस्व में वृद्धि अभी भी प्रत्याशित अतिरिक्त खर्चों को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी. उदाहरण के लिए, सरकार को संभावित रूप से 1.5 ट्रिलियन से 1.8 ट्रिलियन रुपये की अतिरिक्त खाद्य और उर्वरक सब्सिडी प्रदान करनी होगी.