महंगाई से मिलेगी राहत, केंद्र सरकार ने प्याज निर्यात पर लगाई रोक
Export policy of onions- सरकार ने प्याज की कीमतों पर काबू पाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय ने अगले साल मार्च तक प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. पढ़ें पूरी खबर...
नई दिल्ली: सरकार ने प्याज की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और इसकी कीमतों पर काबू पाने के लिए अगले साल मार्च तक इसके (प्याज) निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा कि प्याज की निर्यात नीति को 31 मार्च, 2024 तक मुक्त से प्रतिबंधित श्रेणी में कर दिया गया है. राजधानी दिल्ली में स्थानीय सब्जी विक्रेता 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम पर प्याज बेच रहे हैं. इसकी वजह से आम उपभोक्ताओं का बजट बिगड़ने लगा है.
प्याज
इसके पहले अक्टूबर में केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए खुदरा बाजारों में 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बफर प्याज स्टॉक बेचने का फैसला किया था. सरकार ने इस साल 28 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक प्याज के निर्यात पर 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) भी तय किया था. इसके पहले अगस्त में प्याज पर 31 दिसंबर तक 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया था.
प्याज
प्याज के निर्यात प लगी रोक हालांकि, डीजीएफटी ने कहा कि अन्य देशों को उनके अनुरोध के आधार पर सरकार से मंजूरी लेकर प्याज के निर्यात की अनुमति होगी. इसके अलावा इस अधिसूचना से पहले ही लदान हो चुकी प्याज की खेप को भी निर्यात की अनुमति है. इसके अलावा अगर प्याज की खेप इस अधिसूचना के जारी पहने के पहले सीमा शुल्क को सौंप दी गई है और इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली में उसे दर्ज किया जा चुका है तो उस प्याज के निर्यात की भी अनुमति है.
अगले साल पांच जनवरी तक निर्यात किया जाएगा ऐसी खेपों को अगले साल पांच जनवरी तक निर्यात किया जा सकेगा. चालू वित्त वर्ष में एक अप्रैल से चार अगस्त के बीच देश से 9.75 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया था. निर्यात मूल्य के लिहाज से शीर्ष तीन आयातक देश बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) हैं. खरीफ फसल सत्र में प्याज की खेती के रकबे में कमी की खबरों के बीच इसके दाम चढ़ने लगे हैं. अक्टूबर के थोक मुद्रास्फीति आंक़ड़ों के मुताबिक, सब्जियों और आलू की मुद्रास्फीति में क्रमशः 21.04 फीसदी और 29.27 फीसदी की गिरावट रही जबकि प्याज की वार्षिक मूल्यवृद्धि दर 62.60 फीसदी के उच्चस्तर पर बनी रही.