नई दिल्ली : ब्याज दरों में बदलाव का उन लोगों पर कोई खास असर नहीं पड़ता है जो उधार ली गई रकम से अपने सपनों का घर खरीदते हैं क्योंकि बैंकों का आवास ऋण बकाया पिछले पांच साल में लगभग दोगुना होकर 16.85 लाख करोड़ रुपये हो गया है ( home loan outstanding of banks). भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से यह पता चलता है.
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में ब्याज दरों में 1.40 फीसदी की वृद्धि की है जिसकी वजह से आवास ऋण पर लागू ब्याज दर भी बढ़ गई है. इसके बावजूद इस अवधि में बैंकों के आवास ऋण के बकाए में दहाई अंकों की वृद्धि हुई है. इस गणना अवधि के बाद सितंबर में भी आरबीआई रेपो दर में 0.50 फीसदी की एक और वृद्धि कर चुका है.
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 2016-17 के अंत में बैंकों का आवास ऋण बकाया 8,60,086 करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 16,84,424 करोड़ रुपये हो गया.
बैंकिंग और रियल एस्टेट उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि ब्याज दरें मायने रखती हैं लेकिन वे घर खरीदार के फैसले को प्रभावित नहीं करतीं. इसकी वजह यह है कि घर खरीदने का फैसला व्यक्ति अपनी मौजूदा आय और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए ही करता है. इसके अलावा लोगों को यह बात भी समझ में आ चुकी है कि आम तौर पर 15 वर्षों की ऋण अवधि में ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव आता रहेगा.
बैंक ऑफ बड़ौदा में महाप्रबंधक (गिरवी एवं अन्य खुदरा परिसंपत्तियां) एच टी सोलंकी ने कहा, आवासीय ऋण लंबे समय तक चलते हैं और ग्राहक जानते हैं कि इस दौरान ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव आता ही रहेगा. वैसे देश में औसत आय में आठ से 12 फीसदी की वृद्धि होने से भी ब्याज दरों में वृद्धि का असर कुछ हद तक कम हो जाता है.