हैदराबाद: बीमारी कभी बता कर नहीं आती. लेकिन जब भी आती है अपने साथ भारी-भरकम खर्च लेकर आती है. ऐसे में अगर आपने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ली हुई है तो, इससे आपको आर्थिक रूप से काफी मदद मिलती है. हालांकि कुछ मामलों में Health Insurance के लाभ लिमिटेड हो सकते हैं, ऐसे ही समय में सप्लीमेंट्री पॉलिसिज काम आते हैं. अब आप कहेंगे कि ये Supplementary Policies क्या है और ये काम कैसे करती है, तो आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में इसी सवाल का जवाब..
कई बीमा कंपनियां अब हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ सप्लीमेंट्री पॉलिसिज भी दे रही हैं. ये पॉलिसी स्पेशल होती है और इसके लिए अलग से प्रीमियम देना होता है. हालांकि इसे पूरी तरह से ऑप्शनल रखा गया है. पॉलिसीहोल्डर इसे तभी इस्तेमाल कर सकते हैं, जब कुछ आवश्यकताएं होती हैं. इंडिविजुअल और फैमिली फ्लोटर पॉलिसी वाला कोई भी व्यक्ति इन ऐड-ऑन कवरेज का लाभ उठा सकता है. भारतीय बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (IRDAI) के मानदंडों के अनुसार, पूरक या राइडर्स के लिए लिया जाने वाला प्रीमियम मानक पॉलिसी के 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. आइए जानते हैं कि सप्लीमेंट्री पॉलिसी का कब इस्तेमाल कर सकते हैं.
सप्लीमेंट्री पॉलिसी का इन मौको पर कर सकते हैं इस्तेमाल
क्रिटिकल बीमारी के समय
सामान्य तौर पर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी सभी तरह के ट्रीटमेंट को कवर करती है. लेकिन क्रिटिकल बीमारी के समय सप्लीमेंट्री पॉलिसी मददगार होती है. क्योंकि स्टैंडर्ड पॉलिसी केवल मेडिकल खर्चों को कवर करती है. गंभीर या बड़ी बीमारी के समय इलाज के लिए आपको एकमुश्त पैसे नहीं देगी. वहीं अगर आपने सप्लीमेंट्री पॉलिसी के तहत क्रिटिकल इलनेस कवर प्लान लिया है तो कंपनी पॉलिसी मूल्य की सीमा तक मुआवजा प्रदान करेगी. हालांकि इसके लिए जरूरी है कि पॉलिसी में उस बीमारी का जिक्र हो.