मुंबई : निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक को रिजर्व बैंक ने एचडीएफसी लिमिटेड के साथ विलय की स्थिति में उसे नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) की जरूरी शर्तों में किसी भी तरह की ढील देने से मना कर दिया है. हालांकि बाजार नियामक सेबी ने HDFC एएमसी में नियंत्रक हिस्सेदारी के प्रस्तावित बदलाव की मंजूरी HDFC Limited को दे दी है. देश में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक ने शुक्रवार को शेयर बाजारों को रिजर्व बैंक और सेबी के इस निर्णय की जानकारी दी.
CRR और SLR क्या है : इसके मुताबिक, रिजर्व बैंक ने बैंक को विलय की स्थिति में Cash Reserve Ratio (CRR) और SLR से संबंधित नियामकीय मानकों का पालन करने को कहा है. हालांकि केंद्रीय बैंक ने वरीयता वाले क्षेत्रों को कर्ज देने से जुड़े प्रावधानों में थोड़ी रियायत देने की बात कही है. सीआरआरबैंकों की जमाओं का वह प्रतिशत होता है जिसे बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास रखना होता है और उन्हें उस पर कोई ब्याज नहीं मिलता है. वहीं एसएलआर जमाओं का वह हिस्सा होता है जिसे अनिवार्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों में लगाना होता है.
भारतीय कंपनी जगत का सबसे बड़ा सौदा :एचडीएफसी बैंक का होम लोन देने वाला एचडीएफसी लिमिटेड के साथ विलय की घोषणा पिछले साल अप्रैल में की गई थी. करीब 40 अरब डॉलर के इस विलय को भारतीय कंपनी जगत का सबसे बड़ा सौदा बताया जा रहा है. हालांकि इस प्रस्तावित विलय को अभी नियामकीय मंजूरियां मिलनी बाकी हैं. इसी क्रम में बैंक ने रिजर्व बैंक से सीआरआर और एसएलआर पर कुछ रियायतें देने का अनुरोध किया था.