नई दिल्ली: महंगाई तेजी से बढ़ रही है. कोरोना के बाद से हर चीजों के दाम में इजाफा देखने को मिला है. 64 साल पहले देश में सोने का भाव 1 किलो बासमती चावल की कीमत के बराबर था. सोने का अपना अलग ही आकर्षण है क्योंकि यह न केवल आभूषण है बल्कि निवेश के लिए सबसे सेफ माना जाता है. हालांकि, भारतीय परंपरा के मुताबिक धनतेरस पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है. इस शुभ निवेश से लोगों को मिलने वाली खुशी को मापना मुश्किल है, लेकिन रिटर्न की मात्रा निर्धारित की जा सकती है. इस दिन घर में सोना, चांदी, बर्तन से लेकर कई और समान खरीदे जाते है. इसलिए भारत में सबसे ज्यादा लोग सोना खरीदते है.
गोल्ड निवेश के लिए सबसे सेफ माना जाता है. सोना में निवेश करने से जोखिम का डर कम रहता है. लोगों की बढ़ती डिमांड के वजह से सोना की कीमत साल-दर-साल लगातार बढ़ते जा रही है. इस साल धनतेरस पर सोने की कीमत कमोडिटी मार्केट एमसीएक्स में 60,742 रुपये है. बढ़ती मांग के वजह से बीते 5 सालों से सोने की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है. इस बार धनतेरस पर सोने की कीमत 24 कैरेट यानी की 10 ग्राम 61 हजार रुपये का है. फेस्टिव सीजन के बाद शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा, जिसके वजह से सोना की कीमतों में उछाल बरकरार रहने की उम्मीद है.
आजादी के समय रेट
आजादी के साल 1947 में सोने की कीमत 88.62 रुपये थी. वहीं, साल 1960 में 112 रुपये प्रति तोला सोना (10 ग्राम) मिलता था. इसके बाद साल 1970 में सोने की औसत मुल्य 184 रुपये तक जा पहुंची थी. साल 1980 में सोने की कीमत 1330 रुपये हो गया था. साल 1990 में सोने का भाव 3,200 के पार पहुंच गया था. साल 2000 में गोल्ड का रेट 4,400 पर जा पहुंचा था.