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Go First News: एनसीएलटी से गो फर्स्ट को नहीं मिली राहत, बकाया चुकाने का मिला निर्देश

गो फर्स्ट की याचिका पर आज यानी गुरुवार को एनसीएलटी में सुनवाई हुई, जिसमें Go First को बड़ा झटका लगा है. एनसीएलटी ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. एनसीएलटी ने कहा कि आईबीसी (IBC) के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. एनसीएलटी ने याचिका सुनवाई पर क्या कहा और गो फर्स्ट पर कितना कर्ज है, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 4, 2023, 2:11 PM IST

नई दिल्ली : वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी गो फर्स्ट को NCLT से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है. एनसीएलटी ने गो फर्स्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए आंतरिक राहत देने से इनकार कर दिया है. NCLT ने कहा कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. दरअसल NCLT के समक्ष दायर अपनी याचिका में गो फर्स्ट एयरलाइन ने विमान पट्टेदारों को कोई भी वसूली कार्रवाई करने से रोकने के साथ-साथ DGCA और आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के आपूर्तिकर्ताओं को जबरिया कार्रवाई से रोकने की अपील की थी.

एनसीएलटी ने याचिका सुनवाई पर क्या कहा
NCLT की दिल्ली बैच ने कहा कि दिवाला और शोधन अधिनियम के तहत अंतरिम तौर पर मोरेटोरियम (कानून का अस्थायी निलंबन) देने का कोई प्रावधान नहीं है. अगर ट्रिब्यूनल गो फर्स्ट की याचिका को स्वीकार करती है तो एब्सॉल्यूट मोरेटोरियम का प्रावधान है. इसका मतलब ये हुआ कि अगर NCLT याचिका स्वीकार करती है तो गो फर्स्ट को दिवाला प्रक्रिया से गुजरना होगा. एनसीएलटी ने यह भी सवाल किया कि अगर इंजन की दिक्कत से कंपनी के आधे विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं, तो यह खतरा कंपनी के उन विमानों के ऊपर भी है, जो फिलहाल उड़ान भरने के लायक हैं.

गो फर्स्ट पर कितना कर्ज
गो फर्स्ट ने अपने वित्तीय संकट को देखते हुए एनसीएलटी से राहत की गुहार लगाई थी. कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए याचिका दायर की थी. जिसमें उसने कहा था कि गो फर्स्ट एयरलाइन वित्तीय देनदारियों का बोझ उठाने में असमर्थ है. इसलिए दिवालिया बताकर उसे राहत दी जाए. ध्यान देने वाली बात है कि कंपनी के ऊपर 11,463 करोड़ रुपये का कर्ज है. इसमें से कंपनी 3,856 करोड़ रुपये का भुगतान करने में डिफॉल्ट का सामना कर चुकी है. इसके अलावा Go First पर विमान लीज पर देने वाली कंपनियों का 2,600 करोड़ रुपये बकाया है.

पढ़ें :Go First News: एनसीएलटी में गो फर्स्ट की याचिका, पट्टेदारों, डीजीसीए को जबरिया कार्रवाई से रोकने की अपील

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