नई दिल्ली : विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय शेयर बाजार से निकासी का सिलसिला बीते वित्त वर्ष (2022-23) में भी जारी रहा. वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी के बीच बीते वित्त वर्ष में एफपीआई ने 37,631 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की. इससे पहले 2021-22 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से रिकॉर्ड निकासी की थी. शेयरों के अलावा एफपीआई ने बीते वित्त वर्ष में ऋण या बॉन्ड बाजार से भी 8,938 करोड़ रुपये निकाले. इससे पहले 2021-22 में उन्होंने बॉन्ड बाजार में 1,628 करोड़ रुपये डाले थे.
चालू वित्त वर्ष के लिए उम्मीद अच्छी : जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में एफपीआई का निकासी का रुख पलटने की उम्मीद है, क्योंकि भारत में 2023-24 में वृद्धि की सबसे अच्छी संभावना है. बाजार विश्लेषकों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में एफपीआई प्रवाह कई कारकों मसलन अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत रुख, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगा.
1993 से एफपीआई निवेश शुरू : विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1993 में भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना शुरू किया था. उसके बाद से यह पहला मौका है जबकि एफपीआई लगातार दो वित्त वर्षों के दौरान शुद्ध बिकवाल रहे हैं. वित्त वर्ष 2021-22 में उन्होंने 1.4 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में उनकी निकासी की रफ्तार धीमी होकर 37,632 करोड़ रुपये रही है. इससे पहले 2020-21 में एफपीआई ने शेयरों में रिकॉर्ड 2.7 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था. 2019-20 में उनका निवेश 6,152 करोड़ रुपये रहा था.