हैदराबाद : हर कर्मचारियों को एक समय के बाद काम से रिटायर होना पड़ता है. जब तक वो काम करते हैं तब तक तो उनके पास आय का साधन बना होता है. लेकिन रिटायमेंट के बाद उनके पास आय का कोई साधन नहीं होता. ऐसे में काम करने के दौरान ही रिटारमेंट के लिए प्लान करना चाहिए. ताकि आप बाद में एक बेहतर जिंदगी जी सके. लेकिन कई लोग ऐसा नहीं करते हैं. उन्हें बाद में ऐहसास होता है कि कुछ सेविंग करनी चाहिए. ऐसे में रिटायरमेंट के बाद निवेश करने के लिए फिक्सड डिपॉजिट (FD) एक बेहतर ऑप्शन हैं. तो आइए जानते हैं कि FD में निवेश करते समय किन- किन बातों का ध्यान रखें...
एफडी के फायदे
मन में सवाल आएगा कि रिटायमेंट प्लान के लिए FD में निवेश करने का ऑप्शन ही क्यों चुनें. तो आपको बता दें कि एफडी में कई फायदें हैं मसलन- निवेश की सुरक्षा, रिटर्न की गारंटी, इच्छानुसार समय चुनने की सुविधा समेत और भी कई दूसरे फायदे हैं. इनमें जरूरत पड़ने पर तत्काल नकद निकासी शामिल है. इसे अन्य वित्तीय योजनाओं के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है. बैंकों ने हाल के दिनों में अपनी FDs दरों में काफी वृद्धि की है. कुछ बैंक 8.5-9 फीसदी तक इंटरेस्ट देते हैं. ऐसे में आइए देखते हैं कि रिटायरमेंट के लिए एफडी चुनने वालों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
निवेश से पहले इन बातों का रखे ध्यान
आप बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक और नॉन- बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट (NBFCs) में से किसी में भी FDs करवा सकते हैं. हालांकि सभी में इंटरेस्ट रेट अलग-अलग होता है. कुछ छोटे बैंक और NBFCs सरकारी बैंकों की तुलना में अधिक इंटरेस्ट रेट देते हैं. वहीं, कुछ बैंकों में 9 फीसदी का इंटरेस्ट भी मिलता है. लेकिन किसी भी बैंक और NBFCs में निवेश करने से पहले CRISIL और ICAR द्वारा दी गई उसकी रेटिंग जरूर चेक कर लें.
आपको ब्याज की आवश्यकता कब होती है?
FD को संचयी और गैर-संचयी जमा के रूप में बांटा जा सकता है. संचयी पद्धति में मूलधन पर वार्षिक रूप से कंपाउंड इंटरेस्ट लगाया जाता है. टैन्योर पीरियड पूरा होने के बाद, मूलधन और इंटरेस्ट मिलता है. वहीं, गैर-संचयी में आप इंटरेस्ट रेट मंथली, तीन महीने पर, छह महीने पर और सालाना आधार पर ले सकते हैं. इसके साथ ही गैर-संचयी लॉन्ग टर्म में धन बनाने में मददगार है. जो लोग रिटायरमेंट फंड बनाना चाहते हैं, उन्हें इसका चुनाव करना चाहिए.