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वित्त मंत्रालय ने बैंकों से बीमा पॉलिसियां बेचने के लिए अनैतिक तरीकों से बचने के दिए निर्देश - बीमा पॉलिसियां बेचने के लिए अनैतिक तरीके

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा ग्राहकों को बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए अनैतिक व्यवहार के कई मामले सामने आए हैं, जिसके बाद अब वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों के प्रमुखों को इस व्यवस्था पर रोक लगाने के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने के निर्देश दिए हैं.

public sector banks
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक

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Published : Dec 23, 2022, 3:14 PM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को ग्राहकों को बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए अनैतिक व्यवहार पर रोक लगाने के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने का निर्देश दिया है. लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं कि ग्राहकों को बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए सही जानकारी नहीं दी जाती है. इसके मद्देनजर वित्त मंत्रालय ने यह कदम उठाया है.

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों को लिखे पत्र में कहा गया है कि वित्तीय सेवा विभाग को शिकायतें मिली हैं कि बैंक और जीवन बीमा कंपनियों द्वारा बैंक ग्राहकों को पॉलिसी की बिक्री के लिए धोखाधड़ी वाले और अनैतिक तरीके अपनाए जा रहे हैं. ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैं, जहां दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में 75 वर्ष से अधिक आयु के ग्राहकों को जीवन बीमा पॉलिसी बेची गई है.

आमतौर पर, बैंकों की शाखाएं अपनी अनुषंगी बीमा कंपनियों के उत्पादों का प्रचार-प्रसार करती हैं. जब ग्राहकों द्वारा पॉलिसी लेने से इनकार किया जाता है, तो शाखा अधिकारी बड़ी शिद्दत से समझाते कि उन पर ऊपर से दबाव है. जब ग्राहक किसी प्रकार का ऋण लेने या सावधि जमा खरीदने जाते हैं, तो उन्हें बीमा उत्पाद लेने को कहा जाता है. इस संबंध में विभाग ने पहले ही एक परिपत्र जारी किया है.

पढ़ें:बैंक से 4000 करोड़ की धोखाधड़ी, सीबीआई ने कोलकाता की कंपनी पर दर्ज किया मामला

इस परिपत्र यह सलाह दी गई है कि किसी बैंक को किसी विशेष कंपनी से बीमा लेने के लिए ग्राहकों को मजबूर नहीं करना चाहिए. यह भी बताया गया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने आपत्ति जताई है कि बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए प्रोत्साहन से न केवल फील्ड कर्मचारियों पर दबाव पड़ता है बल्कि बैंकों का मूल कारोबार भी प्रभावित होता है. ऐसे में कर्मचारियों को कमीशन और प्रोत्साहन के लालच की वजह से कर्ज की गुणवत्ता से समझौता हो सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

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