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Economic survey 2023: वित्त मंत्री ने पेश किया आर्थिक सर्वे, विकास दर 6 से 6.8% रहने का अनुमान - Budget Session 2023

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को आम बजट 2023 पेश करेंगी. देखना होगा सरकार आने वाले वित्त वर्ष के लिए क्या खाका खींचती है.

Etv Bharat Economic survey tabled in Lok Sabha
Etv Bharat लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

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Published : Jan 31, 2023, 1:26 PM IST

Updated : Jan 31, 2023, 2:46 PM IST

नई दिल्ली:भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में घटकर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. हालांकि, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा. आर्थिक समीक्षा 2022-23 में मंगलवार को यह अनुमान जताया गया. भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) में सात प्रतिशत रहने का अनुमान है. पिछले साल यह 8.7 प्रतिशत थी.

दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह भारत को भी यूरोप में लंबे समय से चल रहे युद्ध से वित्तीय चुनौतियां का सामना करना पड़ा है और आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं भी आई हैं. समीक्षा में कहा गया, 'ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत ने चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना किया.' वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत पीपीपी (क्रय शक्ति समानता) के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और विनिमय दर के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

समीक्षा में कहा गया, अर्थव्यवस्था ने जो कुछ खोया था, उसे लगभग फिर से पा लिया है. जो रुका हुआ था, उसे नया कर दिया है, और महामारी के दौरान तथा यूरोप में संघर्ष के बाद जो गति धीमी हो गई थी, उसे फिर से सक्रिय कर दिया है.' इसमें संकेत दिया गया है कि मुद्रास्फीति की स्थिति बहुत चिंताजनक नहीं हो सकती है, हालांकि, कर्ज की लागत ‘लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर रहने की संभावना है. एक जटिल मुद्रास्फीति सख्ती के चक्र को लंबा कर सकती है.

समीक्षा में कहा गया है कि महामारी के बाद भारत में पुनरुद्धार अपेक्षाकृत तेज था, ठोस घरेलू मांग से वृद्धि को समर्थन मिला, पूंजी निवेश में तेजी आई, लेकिन अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और बढ़ोतरी के अनुमान से रुपये के लिए चुनौतियां बढ़ीं. चालू खाते के घाटे (कैड) में बढ़ोतरी जारी रह सकती है, क्योंकि वैश्विक जिंस कीमतें ऊंची बनी हुई हैं. अगर कैड और बढ़ता है, तो रुपया दबाव में आ सकता है.

समीक्षा के मुताबिक, निर्यात के मोर्चे पर चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि में कमी आई है. धीमी वैश्विक वृद्धि, सिकुड़ते वैश्विक व्यापार के कारण चालू वर्ष की दूसरी छमाही में निर्यात प्रोत्साहन में कमी आई. वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वर्तमान कीमतों पर वृद्धि दर के 11 प्रतिशत रहने का अनुमान है. समीक्षा में कहा गया कि आगामी वित्त वर्ष के दौरान ज्यादातर वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत की वृद्धि दर मजबूत रहेगी. ऐसा निजी खपत में सुधार, बैंकों द्वारा ऋण देने में तेजी और कंपनियों द्वारा पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी के कारण होगा. समीक्षा में कहा गया है कि मजबूत खपत के कारण भारत में रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन रोजगार के अधिक मौके तैयार करने के लिए निजी निवेश में वृद्धि जरूरी है.

Last Updated : Jan 31, 2023, 2:46 PM IST

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