हैदराबाद : महंगाई हाल के दिनों में हम सभी के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गई है. भारत में पिछले कई हफ्तों से महंगाई की दर 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई है. इन परिस्थितियों के मद्देनजर निवेशकों को इस तरह से निवेश करना चाहिए, ताकि रिटर्न पर मुद्रास्फीति का असर कम से कम पड़े और उन्हें अच्छा रिटर्न भी मिल सके. ऐसा संभव होगा तभी आप भविष्य में बढ़ती कीमतों का मुकाबला कर पाएंगे.
जितनी भी पॉलिसी होती है, उनका सामान्य तौर पर एक ही लक्ष्य होता है, तत्काल रिटर्न देना. बहुत से लोग लंबी अवधि के रिटर्न के बजाय अल्पकालिक लाभ का लक्ष्य रखते हैं. हालांकि, इससे अंततः यह एक कमजोर निवेश वाला पोर्टफोलियो माना जाता है. यदि आप यह चाहते हैं कि निवेश पर मुद्रास्फीति का प्रभाव पड़े ही नहीं, तो ऐसा मुश्किल है. लेकिन कुछ रणनीतियों से हमें अपने निवेश पर मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करने में मदद अवश्य मिलती है. सबसे बेहतर उपाय है इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में विविधता. मुद्रास्फीति का प्रभाव अलग-अलग नीतियों में अलग-अलग पड़ता है. लिहाजा आपको कुछ जगह पर नुकसान अधिक दिखाई देगा, और कुछ नीतियों में उसका असर कम पड़ता है. निवेशकों को इसे ध्यान से समझना चाहिए. बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में, विभिन्न प्रकार के निवेशों को चुनकर जोखिम कारक को कम किया जा सकता है. किसी एक भौगोलिक क्षेत्र तक सीमित रहने के बजाए, विभिन्न देशों के बाजारों में पैसा लगाया जाना चाहिए.
कोई भी निवेश इस तरह से होना चाहिए कि वह मुद्रास्फीति के दबाव के बावजूद कुछ अच्छी आय अर्जित करे. साथ ही, निवेशकों को जोखिम सहने की अपनी क्षमता को बढ़ाना चाहिए और उसी के अनुसार अपनी वित्तीय योजनाएं बनानी चाहिए. अधिक जोखिम वाली योजनाएं सभी लोगों के अनुकूल नहीं हो सकती हैं.