नई दिल्ली:जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI)के मेरठ जोनल यूनिट ने करोड़ों रुपये की फर्जी बिलिंग करने वाले रैकेट का भंडाभोड़ किया है. बता दें, करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग ने 1,481 करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग से जुड़े बड़े लेवल पर फर्जीवाड़ा करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया है. जिसका नतीजा यह हुआ कि 275 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट पारित कर दिया गया. दरअसल, 1,000 फर्जी कंपनियों के माध्यम से पैसा कमाने के लिए 102 फर्जी फर्में बनाई गई थी.
वित्त मंत्रालय ने क्या कहा?
वित्त मंत्रालय ने सोमवार देर शाम कहा कि सावधानीपूर्वक डेटा माइनिंग के माध्यम से डीजीजीआई मेरठ जोनल यूनिट ने चार मास्टरमाइंडों के जरिए चलाए जाने वाले एक प्रमुख सिंडिकेट को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया है. उनमें से एक प्लेसमेंट कंसल्टेंसी फर्म में काम करता था, जो पैन, आधार, बिजली बिल, पता प्रमाण और जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक अन्य दस्तावेजों की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार था.
ऐसे किया जाता था फर्जीवाड़ा
मास्टरमाइंड ने इसे हासिल करने के लिए उम्मीदवारों को उनके केवाईसी दस्तावेजों को सरेंडर करने के बदले में मामूली वित्तीय लाभ देने का लालच दिया करता था. जिनका इस्तेमाल वे धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा करने के लिए किया करता था. इस काम को एक गुप्त कमरे में अंजाम दिया जाता था. जहां महत्वपूर्ण परिचालन गतिविधियां, जैसे चालान निर्माण, ई-वे बिल निर्माण, जीएसटी रिटर्न दाखिल करना और धोखाधड़ी वाली फर्मों के बिक्री-खरीद बही-खाते को बनाए रखना शामिल था. अपने संचालन में सहायता के लिए, सिंडिकेट ने कई सहायकों की भर्ती भी कर रखी है.