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बिजली, ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाया जाए, कर स्लैब चार से तीन किए जाएं: CII

बजाज फिनसर्व लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव बजाज ने कहा कि बिजली के साथ ईंधन को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाए को इसकी संरचना अधिक सरल होगी, लागत में कमी आएगी और उद्योग जगत अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनेगा.

उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ
उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ

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Published : Jul 5, 2022, 6:04 PM IST

नई दिल्ली : उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष संजीव बजाज ने मंगलवार को जीएसटी ढांचे को सरल बनाने की वकालत करते हुए कहा कि बिजली के साथ ईंधन को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए. इसके साथ ही बजाज ने जीएसटी के कर स्लैब की संख्या को भी चार से घटाकर तीन करने का सुझाव दिया. बजाज ने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को अधिक सरल बनाने के लिए कुछ असंगतियों को दूर करना होगा और बिजली, ईंधन जैसे उत्पादों को भी इस कर के दायरे में लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'अगर हम ऐसा करते हैं, तो जीएसटी की संरचना अधिक सरल होगी, लागत में कमी आएगी और उद्योग जगत अधिक प्रतिस्पर्द्धी हो पाएगा.'

उन्होंने विलासिता वाले उत्पादों को 28 प्रतिशत के ऊंचे कर स्लैब में रखे जाने को सही ठहराते हुए कहा, 'हमारा मानना है कि जीएसटी कर ढांचे को सरलीकृत कर तीन स्लैब बनाए जा सकते हैं. अब इस कर प्रणाली को लागू हुए पांच साल बीत चुके हैं और हमारे पास अनुभव भी है लिहाजा इस पर चर्चा की जा सकती है.' जीएसटी के फिलहाल चार स्लैब हैं जो क्रमशः पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं. सोने और रत्न एवं आभूषण के लिए कर की अलग दरें हैं.

बजाज फिनसर्व लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव बजाज ने डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती सेहत के मुद्दे पर कहा कि रिजर्व बैंक इसे काबू में करने की अपने स्तर पर कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने मुद्रास्फीति को नीचे लाने के लिए कई कदम उठाए हैं. अगर मानसून अच्छा रहता है तो मुद्रास्फीति में कमी आनी चाहिए. बीते दो वर्षों में सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की वजह से भारत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कहीं बेहतर स्थिति में है.

(पीटीआई-भाषा)

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