हैदराबाद : पॉलिसीधारकों के लिए कैशलेस क्लेम, बीमा कंपनियों द्वारा दी जाने वाली एक अनुकूल सुविधा है. इसका सबसे अधिक उपयोग मेडिक्लेम में किया जाता है, ताकि आपको उस समय पैसे का इंतजाम करने के लिए दर-दर भटकना न पड़े, जब आप या आपका परिवार अस्पताल में जूझ रहा हो. कैशलेस सुविधा के तहत संबंधित बीमा कंपनियां सीधे अस्पताल के बिलों का भुगतान करेंगी. हालांकि, कभी-कभी कुछ ऐसी समस्याएं चाली आती हैं, जिससे आपको निपटना होता है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आप क्या करें.
कैशलेस पॉलिसी में उत्पन्न होने वाली प्रमुख समस्या आंशिक दावा निपटान है. यहां, कंपनी चिकित्सा उपचार लागतों के लिए एक निर्धारित राशि का भुगतान करती है. पॉलिसीधारक को अतिरिक्त उपचार के लिए लंबित राशि का भुगतान करना होगा और फिर दावा करना होगा. उदाहरण के लिए, एक कंपनी ने कैशलेस क्लेम के लिए 30,000 रुपये का भुगतान किया, लेकिन बाद में पॉलिसीधारक को एक बार फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया और 10,000 रुपये के अतिरिक्त इलाज का खर्च वहन करना पड़ा. यह राशि पहले पॉलिसीधारक को चुकानी होगी और फिर दावे के लिए कंपनी से संपर्क करना होगा.
पॉलिसीधारकों को एक और सावधानी बरतने की जरूरत है, वह है- संबंधित बीमा कंपनी द्वारा अनुमोदित नेटवर्क अस्पताल में शामिल होना. यदि, किसी आपात स्थिति में, रोगी को गैर-नेटवर्क अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, तो बीमा कंपनी कैशलेस दावे पर कार्रवाई नहीं करेगी. ऐसी परिस्थितियों में, पॉलिसीधारक को अपनी ओर से उपचार लागत का भुगतान करना होगा और फिर सभी आवश्यक दस्तावेजों और बिलों के साथ दावा आवेदन जमा करना होगा. इसलिए, नेटवर्क अस्पताल की सूची जिसके साथ एक कंपनी जुड़ी हुई है, शुरुआत में ही जांच की जानी चाहिए.