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आदेश का पालन नहीं करने पर SEBI को बॉम्बे हाई कोर्ट ने लगाई फटकार - भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को सार्वजनिक हित में कार्य करने की आवश्यकता है, बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अक्टूबर में अदालत द्वारा पारित आदेश का पालन नहीं करने के लिए नियामक संस्था को फटकार लगाते हुए कहा. पढ़ें पूरी खबर...( The Securities and Exchange Board of India, sebi, Bombay High Court, Justices G S Kulkarni and Jitendra Jain)

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड
The Securities and Exchange Board of India

By PTI

Published : Dec 1, 2023, 4:11 PM IST

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने बाजार नियामक सेबी (SEBI) को अपने एक आदेश का पालन नहीं करने पर शुक्रवार को फटकार लगाते हुए कहा कि इस सार्वजनिक संस्था को सार्वजनिक हित में काम करने की जरूरत है. न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति जीतेंद्र जैन की खंडपीठ ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का इस तरह का रवैया इस संस्था के प्रति निवेशकों के भरोसे को चोट पहुंचाने का काम करेगा.

सेबी को मिला था यह आदेश
उच्च न्यायालय ने अक्टूबर में एक कंपनी के अल्पांश शेयरधारकों को कुछ जांच दस्तावेज मुहैया कराने का सेबी को आदेश दिया था. इस आदेश को सेबी और कंपनी दोनों ने ही उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जहां पर उनकी अपील खारिज कर दी गई. याचिकाकर्ता भारत निधि लिमिटेड के अल्पांश शेयरधारक हैं और उन्होंने सेबी को सौंपी शिकायत में कंपनी पर प्रतिभूति नियमों के कई उल्लंघन करने के आरोप लगाए थे.

SEBI की जांच महज एक दिखावा
सेबी ने इन आरोपों की जांच शुरू करने के बाद कारण बताओ नोटिस भेजा था लेकिन बाद में इस मामले का निपटान आदेश जारी कर दिया गया. हालांकि अब इस आदेश को वापस ले लिया गया है. याचिका दायर करने वालों का कहना है कि सेबी की इस मामले में की जा रही जांच महज एक दिखावा है. इस पर सेबी की तरफ से कहा गया कि मामले के निपटान का आदेश वापस ले लिए जाने के बाद इस याचिका में कुछ रह नहीं गया है.

सार्वजनिक हित में काम करने की जरूरत
हालांकि पीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि सेबी ने उसके आदेश का लगातार अनुपालन नहीं किया है जो कि अकल्पनीय और अस्वीकार्य है. पीठ ने कहा कि सेबी एक सार्वजनिक निकाय है और उसे सार्वजनिक हित में काम करने की जरूरत है. उसे न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करने की जरूरत है.

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