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Bharatpe में अशनीर ग्रोवर की सैलरी ₹1.69 करोड़, जानें उनकी पत्नी माधुरी का वेतन

फिनटेक प्लेटफॉर्म भारत-पे ने अशनीर ग्रोवर को भारी भरकम सैलरी दी है. कंपनी के सह- संस्थापक को वित्त वर्ष 2022 के लिए 1.69 करोड़ रुपए का वेतन मिला है. वहीं, उनकी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर ने 63 लाख रुपए सैलरी ली है. भारत-पे से जुड़े अन्य लोगों को कितनी सैलरी मिली है, जानने कि लिए पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

Ashneer Grover and  Madhuri jain Grover
अशनीर ग्रोवर और माधुरी जैन ग्रोवर

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Published : Jan 28, 2023, 1:29 PM IST

नई दिल्ली : फिनटेक प्लेटफॉर्म भारत पे ने वित्त वर्ष 2022 में कंपनी के सह-संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) को 1.69 करोड़ रुपए का वेतन दिया. जबकि उनकी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर ने 63 लाख रुपए का वेतन लिया. माधुरी कंपनी में पूर्व नियंत्रण प्रमुख थीं. वर्तमान में कंपनी 88.6 करोड़ रुपए के धन की हेराफेरी के मामले में अशनीर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के पास दायर वित्तीय विवरण के अनुसार, इसके पूर्व सीईओ सुहैल समीर ने वर्ष 2022 में 2.1 करोड़ रुपए लिए.

भारत पे के अध्यक्ष रजनीश कुमार को 21.4 लाख रुपए मिले. जबकि बोर्ड के सदस्य शाश्वत नकरानी को 29.8 लाख रुपए का भुगतान किया गया. मनी कंट्रोल ने सबसे पहले भारत पे के शीर्ष अधिकारियों को पारिश्रमिक के बारे में रिपोर्ट किया था. इस बीच, वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत पे को 5,610.7 करोड़ रुपए का भारी नुकसान हुआ. वर्ष 2021 में, कंपनी ने 1,619.2 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा दर्ज किया था.

इस महीने की शुरुआत में कंपनी ने स्पष्ट किया था कि सीसीपीएस से संबंधित आइटम वन-ऑफ है और अगले साल से नहीं होगा, क्योंकि हमने अब देयता से इक्विटी के लिए अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय वरीयता शेयरों को पुनर्वगीर्कृत किया है. इस बीच, वित्त वर्ष 2011 में परिचालन से इसका राजस्व 3.8 गुना बढ़कर 456.8 करोड़ रुपए हो गया. जो कि ऋण संवितरण पर भुगतान की मात्रा में वृद्धि के कारण था.

सीसीपीएस क्या होता है
किसी बिजनेस के Startup Funding के कुछ प्रकार होते हैं जैसे की Debt, Equity, Conbertible और एक CCPS होता है. इन शेयरों में कुछ शर्तें होती हैं. अगर शुरुआती निवेशक के पास सीसीपीएस है, तो उनके पास अन्य निवेशकों की तुलना में अधिक अधिकार हो सकते हैं, जो बाद में उच्च मूल्यांकन में आते हैं. यह निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी बनाए रखने में भी मदद करता है. बाद में उनकी हिस्सेदारी कम होने पर भी उनको अपनी बात कहने का अधिकार होता है. हालांकि ये शेयर 10-15 साल बाद साधारण इक्विटी शेयरों में तब्दिल हो जाते हैं.

(आईएएनएस)

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