नई दिल्ली : मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) जल्द ही आईपीओ ला सकती है. लेकिन इससे पहले कंपनी अपनी 8-10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है. जो कि 12-15 महीनों के किस्तों में पूरा किया जाएगा. हालांकि इस कदम को आईपीओ के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. लेकिन सवाल उठता है कि हिस्सेदारी बेचना क्यों जरूरी है. तो आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में....
हिस्सेदारी बेचना क्यों जरूरी
आरआरवीएल की वैल्यूएशन पिछले तीन सालों में दोगुनी होकर $100 बिलियन (₹8.25 लाख करोड़) हो गई है. अगर कंपनी इतने बड़े साइज का आईपीओ लेकर आती है तो मार्केट में लिक्विडिटी की कमी हो सकती है. इसलिए कंपनी सोचती है कि 8-10 फीसदी स्टॉक बेच देने से आईपीओ का साइज छोटा हो जाएगा. जिससे इसे मैनेज करना आसान होगा और इसकी सफलता सुनिश्चित हो सकती है. साथ ही इसका वैल्यूएशन भी बढ़ने की उम्मीद है.
भारत के लिस्टिंग नियमों के अनुसार, किसी कंपनी की वित्तीय निवेशकों सहित सार्वजनिक शेयरधारिता कम से कम 25 फीसदी होनी चाहिए. वर्तमान में, आरआरवीएल में लगभग 11 फीसदी हिस्सेदारी वैश्विक निवेशकों के पास है, जिसमें कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (QIA) भी शामिल है. जिसने बुधवार को ₹8,278 करोड़ ($997 मिलियन) निवेश के साथ RRVL में 0.99 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है.