नई दिल्ली : मार्च महीने में एक सप्ताह के अंदर ही अमेरिका के दो बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक डूब गए. इसके बाद स्विटजरलैंड का क्रेडिट स्विस बैंक भी डूबने की कगार पर पहुंच गया, जिसे बचाने के लिए UBS ने उसे खरीद लिया. इस तरह दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग प्रणाली की कमजोरी सामने आई. जिसने बैंक क्षेत्र में निवेश करने वाले निवेशकों के भावनाओं को आहत किया. फेडरल रिजर्व द्वारा पिछले सप्ताह जारी आकड़ों के अनुसार 10 मार्च को सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) के डूबने के बाद अमेरिकी इंवेस्टर्स ने छोटे क्षेत्रीय बैंकों से लगभग 120 बिलियन डॉलर वापस ले लिए.
बैंकिंग क्षेत्र के संकट ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंकाओं को जन्म दिया है. ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के विश्लेषकों ने इस बारे में कहा, 'चिंताएं बढ़ रही हैं कि वित्तीय स्थिति को मजबूत करने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी में चली जाएगी और अन्य जी 7 अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित करेगी.' गौरतलब है कि फेडरल रिजर्व ने अमेरिका में पिछले 4 दशक के उच्च महंगाई को कम करने के लिए रेपो रेट को बढ़ा दिया. जो अब तक जारी है. इससे देश में मुद्रा की आपूर्ति में कमी आई यानी कि लोगों के पास कैश लिक्वडिटी कम हुई.
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फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा करने का असर ये हुआ कि लोन महंगे हो गए, जिससे होम लोन और बिजनेस लोन समेत अन्य लोन की मांग में गिरावट आई. लोगों की क्रय शक्ति घटी और सामानों की डिमांड में कमी देखी गई. जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए एक टर्निंग प्वॉइंट साबित हुआ. विदित हो कि साल 2008-09 में एक बड़े बैंक के डूबने के कारण ही अमेरिका में आर्थिक मंदी आई थी, जिसने पूरी दुनिया को अपने गिरफ्त में ले लिया था.