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सितंबर में बैंकों का एनपीए कई साल के निचले स्तर 0.8 प्रतिशत पर आयाः आरबीआई रिपोर्ट - भारतीय रिजर्व बैंक

सितंबर 2023 के अंत में बैंकों का नेट नॉन परफॉर्मिंग एसेट रेशियो घटकर कई साल के निचले स्तर 0.8 प्रतिशत पर आ गया और देश की डोमेस्टिक फाइनेंशियल सिस्टम लचीली बनी हुई है. रिजर्व बैंक द्वारा यह जानकारी दी गई है. ( RBI report, gross non-performing asset ratio)

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By PTI

Published : Dec 28, 2023, 5:36 PM IST

Updated : Dec 29, 2023, 9:03 AM IST

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को देश की घरेलू वित्तीय प्रणाली को जुझारू बताते हुए कहा कि बैंकों की शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का अनुपात सितंबर, 2023 के अंत में कई साल के निचले स्तर 0.8 प्रतिशत पर आ गया. आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) के मुताबिक, इस अवधि में बैंकों का जीएनपीए अनुपात भी घटकर कई साल के निचले स्तर 3.2 प्रतिशत पर आ गया.

आरबीआई की यह रिपोर्ट वित्तीय स्थिरता और भारतीय वित्तीय प्रणाली की जुझारू क्षमता के जोखिमों पर ‘वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद’ (एफएसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाती है. रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर, 2023 में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीआरएआर) 27.6 प्रतिशत, सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात 4.6 प्रतिशत और संपत्ति पर रिटर्न (आरओए) 2.9 प्रतिशत पर रहा और इस क्षेत्र का जुझारूपन बढ़ा है.

रिपोर्ट कहती है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबीएस) का जोखिम-भारित संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) 16.8 प्रतिशत और समान इक्विटी टियर-1 (सीईटी1) अनुपात सितंबर, 2023 में 13.7 प्रतिशत था. एफएसआर रिपोर्ट के मुताबिक, ऋण जोखिम के लिए वृहद-आर्थिक दबाव परीक्षणों से पता चलता है कि वाणिज्यिक बैंक न्यूनतम पूंजी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे. सितंबर, 2024 में प्रणालीगत सीआरएआर क्रमशः बेसलाइन, मध्यम एवं अत्यधिक दबाव की स्थिति में क्रमश: 14.8 प्रतिशत, 13.5 प्रतिशत और 12.2 प्रतिशत रह सकता है.

रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति का जिक्र करते हुए कहा गया है कि घरेलू वित्तीय प्रणाली जुझारू बनी हुई है. इसे मजबूत वृहद-आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों, वित्तीय संस्थानों के स्वस्थ बहीखाते, मुद्रास्फीति में नरमी, बाह्य क्षेत्र की स्थिति में सुधार और निरंतर राजकोषीय मजबूती से समर्थन मिल रहा है. हालांकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है जिनमें धीमी वृद्धि, बड़े सार्वजनिक ऋण, बढ़ता आर्थिक विभाजन और लंबे समय तक भू-राजनीतिक संघर्ष की आशंका शामिल है.

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Last Updated : Dec 29, 2023, 9:03 AM IST

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