नई दिल्ली :अपना घर बनवाना हर किसी का सपना होता है. छोटी- छोटी बचत करके लोग पैसा जमा करते है घर बनवाने के लिए है. लेकिन कई बार लोग घर बनवाते समय पैसा बचाने के लिए ऐसी गलतियां कर देते है, जिसका खामियाजा उन्हें बाद में भुगतना पड़ता है. तो आइए जानते हैं घर बनवाते समय किन- किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
मजबूत नींव के लिए ये काम करें
फाउंडेशन यानी नींव घर को मजबूती देती है. प्राकृतिक आपदाओं से बचाती है. इसलिए नींव जितनी मजबूत घर उतना स्ट्रांग होगा. सबसे पहले मिट्टी की जांच करा कर नींव का ले- आउट तैयार करना चाहिए. सिविल इंजीनियर की राय से ही नींव की खुदाई होनी चाहिए. साथ ही नींव कम से कम 5 फुट गहरी होनी चाहिए लेकिन हां ये मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है. कॉलम का निर्धारण कर लेना चाहिए. पैसे बचाने के लिए सीमेंट सरिया जैसे समानों के इस्तेमाल में कोई कोताही न करें. इसके अलावा डीपीसी यानी डैम्प प्रूफ कोर्स कराना चाहिए ये दिवारों की सीलन को काफी हद तक रोकता है.
दिवार के लिए करें बेहतर ईंट का इस्तेमाल
दिवारों का मुख्य काम स्ट्रक्चर के धार को नींव तक पहुंचाना है. घर में रहने वालों को बदलते मौसम के तेवरों से सुरक्षा प्रदान करना है. दिवार की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें कितनी मजबूत ईंटे लगी है. सीमेंट या मौरंग के मसाले का अनुपात क्या रखा गया है. दिवारों में दरवाजे और खिड़कियां वहीं, बनानी चाहिए जहां जरुरत हो. खिड़कियों और दरवाजों के ऊपर लिंटिल डालना चाहिए. अच्छी तरह तराई करने से दिवारों की मजबूती बढ़ती है.
छत और फर्श के लिए क्या करें खास
छत- मौसम के अनुसार छत या तो सपाट बनाई जाती है या फिर ढलावदार. सामान्यत: ढलावदार छत उन इलाकों में बनाई जाती है जहां भारी बारिश या बर्फ पड़ती है. फर्श और छत के मामलें में इंजीनियर की राय लेना अच्छा रहता है. वो आपको बताएगा कि सरिये का माप क्या होना चाहिए. उनके बीच कितना फासला रखना चाहिए. कंक्रीट स्लैब की मोटाई कितनी होगी. आमतौर पर जितने सरिये की जरुरत होती है, उससे ज्यादा लगा दिया है. जिससे फर्श या छत का भार तो बढ़ता है ही साथ ही यह इंजिनीयरिंग दृष्टिकोण से भी असुरक्षित है.