नई दिल्ली:अमेरिकी शार्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग 24 जनवरी को अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी करती है. इसके बाद से ही Adani Group की मुश्किलें शुरु हुई. जो आज तक जारी है. Hindenburg की रिपोर्ट के बाद इस मामले पर न्यूज एजेंसी फोर्ब्स ने भी एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी को लेकर बड़ा दावा किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि Vinod Adani ने एक प्राइवेट कंपनी की सिंगापुर यूनिट से रुसी बैंक से कर्ज लेने के लिए 240 मिलियन डॉलर के अडाणी प्रमोटर स्टेक को गिरवी रखा है. सिंगापुर की इस कंपनी की यूनिट का संचालन विनोद अडाणी करते है. गौरतलब है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को Forbes ने भी रिट्वीट किया है.
कैसे हुई डील : साल 2020 में, विनोद अडाणी द्वारा अप्रत्यक्ष रुप से नियंत्रित सिंगापुर की कंपनी Pinnacle Trade and Investment Pte.Lte. ने रुसी सरकारी बैंक VTB के साथ एक लोन एग्रामेंट किया था. जिसे रसिया-यूक्रेन वॉर के कारण अमेरिका ने पिछले साल मंजूरी भी दे दी थी. इसके बाद साल 2021 में Pinnacle कंपनी ने 263 मिलियन डॉलर का उधार लिया और एक बिना नाम के संबंधित पार्टी को 258 मिलियन डॉलर उधार दे दिए. फोर्ब्स की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल 2021 के बाद पीनेकल ने दो निवेश फंडो- Afro Asia Trade & Investment Limited और Worldwide Emerging Markets Holding Limited को कर्ज के लिए गारंटर के रुप में पेश किया. ये दोनों फंड अडाणी ग्रुप के बड़े शेयरहॉल्डर हैं.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में विनोद अडाणी पर आरोप: विनोद अडाणी जो अध्यक्ष के रुप में कम और गौतम अडाणी के बड़े भाई के रुप में ज्यादा जाने जाते हैं. इनका नाम हिंनडनबर्ग की रिपोर्ट में 151 बार उल्लेख किया गया है. जो किसी और की तुलना में अधिक है. ऐसा इसलिए है क्योंकि विनोद अडाणी offshores shell companies में प्रबंधन का काम करते हैं. जो इस घोटाले के केंद्र में प्रतीत होता हैं. वो दुबई में रहते हैं और वहीं से सिंगापुर व जकार्ता के बिजनेस को मैंनेज करते हैं. गौरतलब है कि Vinod Adani का नाम साल 2016 में पनामा पेपर्स लीक में और साल 2021 में पेंडोरा पेपर्स के मामले में भी आया है. हुरुन इंडिया रिच लिस्ट के अनुसार वह दुनिया के सबसे अमीर नॉन रेजिडेंस इंडियन (NRI) हैं.
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