मुंबई :बीएसई सेंसेक्स 101.88 अंक की गिरावट के साथ 60,821.62 और एनएसई निफ्टी 63.20 अंक फिसलकर 18,114.90 अंक पर बंद हुआ. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर तीन पैसे फिसलकर 74.90 (अस्थायी) पर बंद हुआ. सूचना प्रौद्योगिकी, दैनिक उपयोग के सामान बनाने वाले वाली कंपनियों, धातु शेयरों में टूट देखी गई. कंपनियों के तिमाही परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहने से निवेशक जोखिम लेने से बच रहे हैं.
कारोबारियों के अनुसार बाजार प्रतिभागियों को सूचकांक में मजबूत हिस्सेदारी रखने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के दूसरी तिमाही के परिणाम का भी इंतजार है. 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स के शेयरों में आईटीसी 3.39 प्रतिशत की गिरावट के साथ सर्वाधिक नुकसान में रहा. इसके अलावा, मारुति, इन्फोसिस, एनटीपीसी, एचसीएल टेक और टाटा स्टील में भी प्रमुख रूप से गिरावट आयी.
दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों में एचडीएफसी, बजाज ऑटो, इंडसइंड बैंक, कोटक बैंक, टाइटन, बजाज फिनसर्व और एक्सिस बैंक शामिल हैं. इनमें 2.11 प्रतिशत तक की तेजी रही.
साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स 484.33 अंक यानी 0.79 प्रतिशत और निफ्टी 223.65 अंक यानी 1.21 प्रतिशत मजबूत हुए.
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, 'वैश्विक स्तर पर मजबूत रुख के कारण घरेलू बाजार में शुरूआत अच्छी रही. लेकिन यह तेजी बरकरार नहीं रह पायी और मुनाफावसूली से बाजार नुकसान में रहा. बैंक और रियल्टी शेयरों को छोड़कर सभी प्रमुख क्षेत्र नुकसान में रहें.'
उन्होंने कहा, 'वैश्विक बाजार में तेजी रही. इसका कारण चीन की कर्ज में डूबी प्रमुख रियल्टी कंपनी द्वारा ब्याज भुगतान है. हालांकि घरेलू बाजार में कंपनियों के दूसरी तिमाही के परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं होने से असर पड़ा. कच्चे माल की लागत बढ़ने से कंपनियों के परिणाम अनुमान के अनुरूप नहीं रहे हैं.'
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा कि हालांकि कारोबारी बाजार में उतार-चढ़ाव की शिकायत कर रहे हैं. लेकिन हाल की गिरावट से निवेशकों को अच्छे शेयर खरीदने का मौका मिलेगा....'
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और चीन का शंघाई कंपोजिट नुकसान में रहें जबकि हांगकांग का हैंगसेंग और जापान के निक्की में तेजी रही. यूरोप के प्रमुख शेयर बाजारों में भी दोपहर कारोबार के दौरान तेजी रही.
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड का भाव 0.52 प्रतिशत बढ़कर 85.05 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.