मुंबई:घरेलू शेयर बाजार में सोमवार को बिकवाली के भारी दबाव में बेंचमार्क शेयर संवेदी सूचकांक सेंसेक्स बीते सत्र की क्लोजिंग से 792.82 अंकों यानी 2.01 फीसदी गिरावट के साथ 38,720.57 पर बंद हुआ. निफ्टी भी 252.55 अंकों यानी 2.14 फीसदी गिरावट के साथ 11,558.60 पर बंद हुआ.
इससे पहले कारोबार के दौरान सेंसेक्स 900 अंकों से ज्यादा लुढ़का और एनएसई के प्रमुख संवेदी सूचकांक निफ्टी में भी 288 अंकों की गिरावट आई. कमजोर विदेशी संकेतों और घरेलू निवेशकों में बजटीय प्रस्तावों को लेकर निराशाजनक रुझानों के कारण भारतीय शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन गिरावट का रुख जारी रहा.
बंबई स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सत्र के आरंभ में मामूली गिरावट के साथ 39,476.38 पर खुला और 38,605.48 तक लुढ़का, जबकि कारोबार के आखिर में 792.82 अंकों यानी 2.01 फीसदी की गिरावट के साथ 38,720.57 पर बंद हुआ.
ये भी पढ़ें:शेयर बाजार में भारी गिरावट, सेंसेक्स 780 अंक लुढ़का
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक निफ्टी भी सत्र के आरंभ में पिछले सत्र के मुकाबले कमजोरी के साथ 11,770.40 पर खुला और 11,771.90 तक उठा. मगर भारी बिकवाली के कारण निफ्टी पिछले सत्र से 252.55 अंकों यानी 2.14 फीसदी गिरावट के साथ 11,558.60 पर बंद हुआ. दिनभर के कारोबार के दौरान निफ्टी का निचला स्तर 11,523.30 रहा.
बीएसई का मिड-कैप सूचकांक पिछले सत्र से 293.12 अंकों यानी 1.99 फीसदी गिरावट के साथ 14,432.53 पर बंद हुआ, जबकि स्मॉल-कैप सूचकांक 347.30 अंकों यानी 2.46 फीसदी गिरावट के साथ 13,794.53 पर बंद हुआ.
बीएसई के सभी 19 सेक्टरों के सूचकांकों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि सबसे ज्यादा गिरावट पूंजीगत वस्तुएं (3.78 फीसदी), रियल्टी (3.50 फीसदी), ऑटो (3.14 फीसदी), बिजली (3.10 फीसदी) और औद्योगिक सेक्टर के सूचकांक (3.03 फीसदी) में रही.
अमेरिका में पिछले सप्ताह जॉब डेटा मजबूत आने से अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की संभावना कम होने से एशियाई बाजारों में नकरात्मक रुझान रहा. इसके अलावा, पिछले सप्ताह शुक्रवार को संसद में पेश किए गए आम बजट 2019-20 के प्रावधानों को लेकर निवेशकों में असमंजस की स्थिति बरकरार है, जिसके कारण घरेलू शेयर बाजार में नकारात्मक रुझान देखने को मिला.
बाजार के जानकार बताते हैं कि खासतौर से सरकार द्वारा शेयर बायबैक पर कर लगाने और सूचीबद्ध कंपनियों में न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग बढ़ाने की घोषणा से घरेलू निवेशकों में निराशा का माहौल बना है.