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कोरोना प्रभाव: बाजार 3 साल के निचले स्तर पर, सेंसेक्स 29,000 से नीचे - सोने का मूल्य

कोरोना वायरस महामारी का असर जारी रहने के बीच रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ने भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम कर दिया है. वहीं उच्चतम न्यायालय ने एजीआर (समायोजिक सकल आय) मुद्दे पर दूरसंचार कंपनियों को राहत देने से इनकार कर दिया. इन सबसे बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा.

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कोरोना प्रभाव: बाजार 3 साल के निचले स्तर पर, सेंसेक्स 29,000 से नीचे

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Published : Mar 18, 2020, 7:26 PM IST

Updated : Mar 18, 2020, 7:33 PM IST

मुंबई: शेयर बाजारों में गिरावट का सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा. बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 29,000 अंक के नीचे आ गया जबकि एनएसई निफ्टी लगभग 500 अंक नीचे आया.

कोरोना वायरस महामारी का असर जारी रहने के बीच रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ने भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम कर दिया है. वहीं उच्चतम न्यायालय ने एजीआर (समायोजिक सकल आय) मुद्दे पर दूरसंचार कंपनियों को राहत देने से इनकार कर दिया. इन सबसे बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा.

तीस शेयरों वाला बीएसई-30 सेंसेक्स में कारोबार के दौरान 2,488.72 अंक का उतार-चढ़ाव आया. अंत में यह 1,709.58 अंक यानी 5.59 प्रतिशत की गिरावट के साथ 28,869.51 पर बंद हुआ.

सेंसेक्स की 10 सबसे बड़ी गिरावट

इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 498.25 अंक यानी 5.56 प्रतिशत का गोता लगाकर 8,468.80 अंक पर बंद हुआ.

सेंसेक्स के शेयरों में इंडसइंड बैंक को सर्वाधिक नुकसान हुआ. इसमें 23 प्रतिशत की गिरावट आयी. इसके अलावा पावर ग्रिड (11.29 प्रतिशत), कोटक बैंक (11.23 प्रतिशत), बजाज फाइनेंस (11.11), एचडीएफसी बैंक (9.92 प्रतिशत) और एनटीपीसी (8.08 प्रतिशत) में भी अच्छी-खासी गिरावट आयी. सूचकांक में केवल ओएनजीसी और आईटीसी के शेयरों में तेजी रही.

बीएसई के 30 शेयर

इससे पहले, एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग ने 2020 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.2 प्रतिशत कर दिया है. उसका कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में जा रही है. इससे पहले, रेटिंग एजेंसी ने 2020 में वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.

एस एंड पी ने एक बयान में कहा, "एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 2020 में आर्थिक वृद्धि आधी होकर 3 प्रतिशत से कम रह सकती है. वैश्विक अर्थव्यवस्था नरमी में प्रवेश कर रही है."

उच्चतम न्यायालय द्वारा समायोजित सकल आय (एजीआर) बकाया के स्व-आकलन को लेकर दूरसंचार कंपनियों की खिंचाई के बाद बैंक तथा दूरसंचार कंपनियों के शेयर दबाव में रहे. न्यायालय ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों को पिछले साल 24 अक्टूबर को दिये गये फैसले में जो राशि तय की गयी थी, उसका पूरा भुगतान करना होगा.

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "भारतीय बाजार तीन साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया. निफ्टी 8,500 अंक के नीचे आ गया. यह एशियाई और यूरोपीय बाजारों में गिरावट के अनुरूप है. वैश्विक एजेंसियों के कोरोना वायरस माहामारी के कारण वैश्विक मंदी को लेकर चेतावनी दिये जाने के बाद बाजार में गिरावट आयी."

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उन्होंने कहा, "भारत में संक्रमण के मामले में बढ़ने और कारोबार बाधित होने से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर अनुमान को भी कम किया गया है. इससे सरकार के राजकोषीय गणित पर असर पड़ेगा जो पहले से तंग है."

नायर ने कहा, "इसके अलावा उच्चतम न्यायालय के फैसले में दूरसंचार कंपनियों को कोई राहत नहीं मिलने का भी दूरसंचार और बैंक शेयरों पर असर पड़ा. बैंक शेयरों में गिरावट का कारण दूरसंचार क्षेत्र को बैंकों द्वारा दिया गया कर्ज है."

वैश्विक मोर्चे पर कोरोना वायरस प्रभाव से निपटने के लिये प्रोत्साहन उपायों की घोषणा से भी निवेशकों की धारणा पर असर नहीं पड़ा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आर्थिक पैकेज का प्रस्ताव किया है जो 1,000 अरब डॉलर हो सकता है. पुन: एशियाई विकास बैंक ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये अपने विकासशील सदस्य देशों के लिये 6.5 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की.

वैश्विक बाजार

एशिया के अन्य बाजारों में शंघाई, हांगकांग, सोल और जापान के बाजारों में भी 4.86 प्रतिशत की गिरावट आयी. यूरोप के प्रमुख बाजारों में शुरूआती कारोबार में 4 प्रतिशत तक की गिरावट आयी.

इस बीच, कोरोना वायरस से दुनिया भर में मरने वालों की संख्या बढ़कर 7,400 पहुंच गयी है जबकि 1,80,000 संक्रमित हैं. भारत में संक्रमित मामलों की संख्या 130 पहुंच गयी है. उधर, वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड का भाव 3.48 प्रतिशत से अधिक टूटकर 27.73 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है.

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ब्रिटिश पौंड 1985 के बाद के न्यूनतम स्तर पर

कोरोना वायरस संक्रमण का असर ब्रिटेन की मुद्रा पर पड़ा है. उसकी विनिमय दर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिर कर 1985 के बाद के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गयी है. निवेशकों के सुरक्षित निवेश के रूप में अमेरिकी डॉलर को तरजीह दिये जाने से ब्रिटेन की मुद्रा नीचे आयी है.

पौंड स्टर्लिंग की विनिमय दर 1.9 प्रतिशत लुढ़ककर 1.1828 डालर के स्तर पर चली गयी थी. बाद में यह थोड़ी सुधर कर प्रति पौंड 1.1861 डॉलर पर पहुंच गयी.

मार्केट्स डॉट कॉम के विश्लेषक नेइल विल्सन ने कहा, "याददाश्त में यह पौंड स्टर्लिंग की विनिमय दर की सबसे बड़ी गिरावट है. अगर अक्टूबर 2016 में अचानक आयी तीव्र गिरावट को अलग कर दें तो यह 1985 के बाद अपने न्यूनतम स्तर पर है."

उनके अनुसार निवेशक जोखिम से बचने के लिए पौंड की जगह डॉलर में निवेश को तरजीह दे रहे हैं, जिससे यह गिरावट आयी.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Mar 18, 2020, 7:33 PM IST

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