मुंबई: बंबई शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में लगातार तीन दिन से जारी तेजी शुक्रवार को थम गयी. शुरुआती कारोबार में बढ़त दर्ज के बाद शाम में यह 131 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ.
अर्थव्यवस्था में मंदी आने की आशंका और रिजर्व बैंक के ऋणों की मासिक किस्त के भुगतान में उम्मीद के मुताबिक कटौती नहीं होने का असर बाजार पर दिखा.
वैश्विक बाजारों के संकेतों और रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले घरेलू शेयर बाजारों की शुरुआत अच्छी थी और प्रारंभिक कारोबार में सूचकांक चार प्रतिशत तक चढ़े थे. लेकिन मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद इनमें गिरावट का रुख देखा गया और अंत में यह गिरकर बंद हुए.
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रिजर्व बैंक के कोरोना वायरस महामारी के चलते वार्षिक वृद्धि दर के अनुमान जोखम में होने की बात कहने से बाजार में आर्थिक मंदी की आशंका गहरा गई. बीएसई सेंसेक्स सुबह काफी तेजी के साथ खुला लेकिन उसने अपनी पूरी बढ़त गवां दी और अंत में यह 131.18 अंक या 0.44 प्रतिशत की गिरावट के साथ 29,815.59 पर बंद हुआ. दिन के कारोबार के दौरान इसने 31,126.03 का ऊपरी स्तर और 29,346.99 का निचला स्तर छुआ.
दूसरी ओर एनएसई का प्रमुख निफ्टी सूचकांक 18.80 अंक या 0.22 प्रतिशत बढ़कर 8,660.25 अंक पर बंद हुआ.
साप्ताहिक आधार पर दोनों सूचकांक नकारात्मक रुख के साथ बंद हुए. कोरोना वायरस के सामुदायिक फैलाव को रोकने के लिए दुनियाभर के विभिन्न देशों में लॉकडाउन (सार्वजनिक पाबंदी) किया गया है. इसके चलते शेयर बाजारों में भारी बिकवाली का दौर जारी है. यह लगातार छठा हफ्ता है जब शेयर बाजार गिरावट के रुख के साथ बंद हुए हैं.
सैमको सिक्योरिटीज के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिमीत मोदी ने कहा कि ऐसे अनिश्चित समय में निवेशक अपनी पूंजी को बचाना चाह रहे हैं. उन्होंने कहा कि आरबीआई ने ऋण अदायगी पर छह महीने की जगह केवल तीन महीने की छूट दी है, जिससे कई को निराशा हुई.
उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि मौजूदा संकट की स्थिति में आरबीआई हर संभव उपाए कर रहा है, लेकिन बीमार उद्योगों को अब तक कोई सीधी मदद नहीं दी गई है.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बीते 11 वर्षों से अधिक समय के दौरान ब्याज दर में सबसे अधिक कटौती का ऐलान किया है. केद्रीय बैंक ने रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की कटौती कर उसे 4.4 प्रतिशत कर दिया गया है, जो कम से कम पिछले 15 वर्षों में सबसे कम है.