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रियल एस्टेट बाजार कर अप्रैल-जून में उत्साह नरम, बिल्डर भविष्य को लेकर आशान्वित: रिपोर्ट

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के कारण अप्रैल-जून तिमाही के दौरान रियल एस्टेट बाजार में लोगों की सोच पर बुरा असर रहा अचल सम्पत्ति विकास कार्य में लगी कंपनियां अगले छह महीनों को लेकर आशावादी हैं.

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Published : Jul 22, 2021, 6:17 PM IST

नई दिल्ली : जमीन जायदाद के कारोबार में उत्साह को लेकर नाइट फ्रैंक, फिक्की और नरेडको के एक सर्वेक्षण के अनुसार कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के कारण अप्रैल-जून तिमाही के दौरान रियल एस्टेट बाजार में लोगों की सोच पर बुरा असर रहा अचल सम्पत्ति विकास कार्य में लगी कंपनियां अगले छह महीनों को लेकर आशावादी हैं.

बृहस्पतिवार को जारी कैलेंडर वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही के रियल एस्टेट सेंटीमेंट इंडेक्स (उत्साह सूचकांक) में, कंसल्टेंसी कंपनी नाइट फ्रैंक ने कहा कि इस वर्ष अप्रैल-जून तिमाही दौरान सूचकांक पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) 57 के मुकाबले घटकर 35 हो गया.

हालांकि, नाइट फ्रैंक ने कहा कि यह गिरावट पहली कोविड लहर (2020 की दूसरी तिमाही) की अवधि की तुलना में कम तीव्र है, जब स्कोर 22 के सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गया था.

फ्यूचर सेंटीमेंट (भविष्य को लेकर उत्साह) का सूचकांक दूसरी तिमाही में हल्का घटकर 56 हो गया, जो 2021 की पहली तिमाही में 57 था, लेकिन बाजार के भविष्य को लेकर अब भी आशावादी दृष्टिकोण बना हुआ है.

इसमें 50 से ऊपर का का सूचकांक 'आशावाद' को इंगित करता है, 50 का सूचकांक 'समान' या 'तटस्थ' धारणा का सूचक है, जबकि 50 से नीचे का अंक 'निराशावाद' को दर्शाता है. सर्वेक्षण में रियल एस्टेट डेवलपर, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों सहित आपूर्ति पक्ष के हितधारकों को शामिल किया गयाा है.

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नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, महामारी की दूसरी लहर की त्रासदी ने 2021 की दूसरी तिमाही में पूरे उद्योग की भावनाओं पर नकारात्मक असर डाला है.

फिक्की की रीयल एस्टेट समिति के सह-प्रमुख और एटीएस इन्फ्रास्ट्रकर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक गीताम्बर आनंद ने कहा कि महामारी के बावजूद अचल सम्पत्ति बाजार का भविष्य सकारात्मक है.

रीयल एस्टेट विकास कंपनियों के संगठन नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं हीरानंदानी समूह के प्रबंधनिदेशक निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि ‘ दूसरी तिमाही का वर्तमान सोच संबंधी सूचकांक इस वर्ष अप्रैल-मई में लागू की गयी आंशिक पाबंदियों के प्रभाव को परिलक्षित करता है जो जून में ढीली कर दी गईं.

(पीटीआई-भाषा)

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