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रेशम व्यापार को बढावा देने के लिए हर संभव मदद करेगा विदेश मंत्रालय : स्वराज - सिल्क व्यापार

नई दिल्ली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार को कपड़ा मंत्रालय को वैश्विक बाजारों में रेशम को बढ़ावा देने के लिए सभी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया. स्वराज ने कहा कि रेशम एक मजबूत कमोडिटी है और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में इसकी भारी मांग है.

सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री (फाइल फोटो)।

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Published : Feb 11, 2019, 11:18 AM IST

उन्होंने कपड़ा मंत्रालय के एक कार्यक्रम 'सर्जिंग सिल्क' में कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि वैश्विक बाजारों में रेशम लेने के लिए विदेश मंत्रालय एक सुविधा मंत्रालय बन जाएगा. आप उत्पादन बढ़ाएं, बाजार हम प्रदान करेंगे.

भारतीय रेशम की साड़ियों की लोकप्रितया देखते हुए स्वराज ने बताया कि सयुंक्त राष्ठ महासभा की बैठकों के दौरान उनके समकक्षों ने अक्सर इन कपड़ों के रंग पैटर्न और विभिन्न डिजाइनों रे बारे में पूछा.

वस्त्र मंत्रालय ने तसर रेशम क्षेत्र में जांघ की रीलिंग प्रथा को समाप्त करने के लिए और ग्रामीण और आदिवासी महिला रीलरों को सही कमाई सुनिश्चित करने के लिए बुनकरों को मशीनें वितरित कीं.

मार्च 2020 के अंत तक जांघ की रीलिंग को मिटाने और इसे 'बनियाद' रीलिंग मशीन से बदलने के लक्ष्य पर, स्वराज ने कहा कि मंत्रालय को इस साल इन उपकरणों को वितरित करके इस प्रथा को खत्म करने के लिए प्रयास करना चाहिए.

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन आज मलबरी रेशम पुरस्कार ने दोनों राज्यों को एक ही मंच पर लाया.

समारोह में बोलते हुए, कपड़ा मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि 2013-14 के बाद रेशम उत्पादन में 41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

कार्यक्रम के दौरान, रेशम उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों में रेशम उद्योग में सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि हासिल करने वालों को सम्मानित किया गया. सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों को पुरस्कार भी दिए गए. रेशमकीट बीज क्षेत्र में गुणवत्ता प्रमाणन के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन भी लॉन्च किया गया था.

भारत की रेशम उत्पादन क्षमता 32,000 टन के वर्तमान स्तर से 2020 तक लगभग 38,500 टन तक पहुंचने की उम्मीद है. उत्पादन बढ़ने से आयात कम करने में मदद मिलेगी. चीन के बाद भारत रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और रेशम का सबसे बड़ा उपभोक्ता है.
(पीटीआई)
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