नई दिल्ली: विश्वबैंक ने बुधवार को संकेत दिया कि वह भारत के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को और घटा सकता है. उसने यह भी कहा कि कोविड-19 संकट से बाहर आने के लिये स्वास्थ्य, श्रम, भूमि, कौशल और वित्त जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है.
विश्वबैंक ने मई में अनुमान जताया था कि भारत की अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2020-21 में 3.2 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है और अगले वित्त वर्ष में धीरे-धीरे यह पटरी पर आ सकती है.
बहुपक्षीय संस्थान ने बुधवार को भारत के बारे में अद्यतन रिपोर्ट में कहा, "हाल के सप्ताह में चुनौतियां उभरी हैं. इसका निकट भविष्य में संभावनाओं पर असर पड़ सकता है. इन जोखिमों में वायरस का लगातार फैलना, वैश्विक परिदृश्य में और गिरावट तथा वित्तीय क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव का अनुमान शामिल हैं."
उसने कहा, "इन चीजों को ध्यान में रखते हुए, संशोधित परिदृश्य में तीव्र गिरावट का अनुमान रखा जा सकता है. संशोधित परिदृश्य अक्टूबर, 2020 में उपलब्ध होगा."
विश्वबैंक का अनुमान है कि भारत का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 6.6 प्रतिशत हो सकता है और बाद के वर्ष में 5.5 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बना रह सकता है.
उसने कहा, "महामारी का अर्थव्यवस्था पर वैसे समय प्रभाव पड़ा है जब अर्थव्यवस्था में पहले से ही गिरावट हो रही थी."