नई दिल्ली: ऐसे समय में जब देश की अर्थव्यवस्था जीडीपी वृद्धि दर में लगातार गिरावट और राष्ट्रव्यापी तालाबंदी के लगभग साठ दिनों के दौरान गहरी मुसीबत में है, केंद्र सरकार ने संकट में एक अवसर देखा.
वित्त मंत्रालय ने 20 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज और नीतिगत सुधारों की घोषणा की ताकि अर्थव्यवस्था को पोस्ट लॉकडाउन चरण में शुरू किया जा सके और बाद में, आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य हासिल किया जा सके.
ईटीवी भारत को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रवासी मुद्दों पर बात की, बैंकों की गैर-निष्पादित संपत्ति और वित्तीय पैकेज की आलोचना कि यह अर्थव्यवस्था के बहुत आवश्यक मांग की समस्याओं को हल करने में विफल रहा से भी बचाव किया.
संपादित अंश:
अब हम जिस प्रवासी संकट का सामना कर रहे हैं, उसे देखते हुए, क्या केंद्र सरकार श्रमिकों के लिए आत्मविश्वास पैदा करने में विफल रही है कि वे वहीं रहे जहां वो हैं? प्रवासी मजदूरों को सीधे नकद हस्तांतरण देने पर आपका क्या विचार है?
प्रवासी श्रमिकों की देखभाल करना मेजबान राज्य और गृह राज्य की प्राथमिक जिम्मेदारी है. दोनों को इन अनिश्चित समय में समन्वय के साथ सहायता प्रदान करनी चाहिए. केंद्र सरकार की भूमिका स्थिति को सुगम बनाना है, जिसमें उन्हें परिवहन के लिए गाड़ियों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है और उन्हें मुफ्त भोजन और पानी भी उपलब्ध कराया गया है.
हमने 3840 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं और 52 लाख से अधिक यात्री अपने गंतव्य तक पहुंच चुके हैं. रेलवे ने श्रमिक विशेष पर 85 लाख यात्रियों को भोजन और 1.25 करोड़ बोतलबंद पानी मुहैया कराया है.
हमने 8 करोड़ प्रवासी श्रमिकों को 5 किलोग्राम/प्रति व्यक्ति अनाज और 1 किलो दाल प्रति परिवार के लिए 3500 करोड़ रुपये रखे हैं. पीएम गरीब कल्याण पैकेज का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों के लिए था.
क्या सरकार राजकोषीय बाधाओं के कारण वेतनभोगी वर्ग, मध्यम वर्ग को किसी भी प्रकार का प्रत्यक्ष कर लाभ देने से छोड़ दी है?
एमएसएमई क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. यह 120 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान करता है और भारत से कुल निर्यात में लगभग 45% योगदान देता है.
एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ के फंड में उचित परामर्श के बाद, केंद्र सरकार ने बैंकों और एनबीएफसी को 100% क्रेडिट गारंटी और संपार्श्विक फ्री कवर प्रदान किया है.
मध्यम वर्ग के निपटान में अधिक धनराशि प्रदान करने के लिए, टीडीएस की दरों में 25 प्रतिशत की कमी की गई है. यह बाजार में 50,000 करोड़ रुपये की तरलता को शामिल करना सुनिश्चित करता है और यह कमी 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध है.
20 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय प्रोत्साहन पर, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि यदि कोई अतिरिक्त बजटीय खर्च नहीं है, तो कोई राजकोषीय प्रोत्साहन नहीं है. इस पर आपकी टिप्पणी.
हम निपुण रूप से विवेकपूर्ण हैं और अभी भी यह सुनिश्चित करते हैं कि देश के सभी वर्ग इस पैकेज में सम्मिलित हैं.
कई अर्थशास्त्रियों ने बताया था कि वित्तीय पैकेज ने मांग-पक्ष की समस्या का समाधान नहीं किया है. इस पर आपकी टिप्पणी.