नई दिल्ली:जैसा कि उम्मीद था, भारतीय उपभोक्ताओं का खर्च पैटर्न कोविड-19 प्रेरित वॉकडाउन के शुरुआती दिनों के दौरान काफी बदल गया था, जब वह किराने और दवाइओं जैसी आवश्यक चीजों पर पैसे खर्च कर रहे थे. सरकार द्वारा हाल के महीनों में दिए गए प्रतिबंधों में ढील के बाद अब 80-90 फीसदी उपभोक्ता खर्च पूर्व कोविड स्तर पर आ गया है. लेकिन पहले के विपरीत भारतीय उपभोक्ता उन चीजों और सेवाओं पर अधिक खर्च कर रहे हैं जो उन्हें वायरस के जोखिम को कम करने में मदद करेंगे.
इस साल मार्च में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड 19 वायरस के प्रसार को रोकने के लिए एक पूरे देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा की, जिसे दुनियाभर में लगे सबसे कड़े लॉकडाउन में से एक के रूप में वर्णित किया गया. इसने आर्थिक गतिविधियों में कमी ला दी क्योंकि कुछ क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश लोग अपने घर तक ही सीमित रहे.
इसने भारतीय उपभोक्ताओं, विशेषकर मध्यम वर्ग के खर्च व्यवहार को पूरी तरह से बदल दिया क्योंकि लोग आर्थिक अनिश्चितता के कारण नकदी का संरक्षण करने लगे.
फेडरल बैंक की कार्यकारी निदेशक शालिनी वॉरियर ने कहा, "लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में हमने देखा कि उपभोक्ता खर्च कम हुआ और यह किराने का सामान, दवाओं और कुछ अन्य सीमित उपयोग पर था."
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वॉरियर, जो बैंक के खुदरा व्यापार का प्रमुख भी है, का कहना है कि पिछले तीन महीनों में उपभोक्ता खर्च बढ़ गया है क्योंकि सरकार ने लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी है.
शालिनी वॉरियर ने मुंबई स्थित भुगतान सेवाओं और एटीएम प्रबंधन फर्म ईपीएस इंडिया द्वारा आयोजित व्यापार और बैंकिंग संवाद में दर्शकों को बताया, "जैसा कि अर्थव्यवस्था ने खुलना शुरू किया, हमने देखा है कि खर्च की मात्रा बढ़ गई है. वास्तव में, संपूर्ण रूप में उद्योग ने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड खर्च के लिए जनवरी खर्च की तुलना में 80-90% वॉल्यूम हासिल कर लिया है, जो एक अच्छा संकेतक है कि बाजार कैसे चल रहा है."
ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में, वॉरियर ने कहा कि हालांकि खर्च पूर्व-कोविड स्तर के करीब आ गया है लेकिन इस बात में अंतर है कि पैसा कैसे खर्च किया जा रहा है.
शालिनी वॉरियर ने बताया यात्रा, होटल और आतिथ्य में खर्च बहुत कम हैं.
कोविड ने लोगों को निजी वाहन खरीदने के लिए मजबूर किया
शालिनी वॉरियर, जो डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके अपने बैंक के ग्राहकों का खर्च करने का तरीका देखती है, का कहना है कि लोग उन चीजों पर पैसा खर्च कर रहे हैं जो उन्हें कोविड-19 से जुड़े जोखिमों से बचने में मदद करेंगे.
वॉरियर ने ईटीवी भारत को बताया, "हमने खरीदारों के बीच छोटी कारों, यूज्ड कारों, दो पहिया वाहनों को खरीदने और खरीदने की प्रवृत्ति पर भी ध्यान दिया है. हमने इसमें कुछ तेजी देखी है. मुझे लगता है कि यह सार्वजनिक परिवहन में शामिल सामान्य जोखिम के कारण है, ताकि कोविड का जोखिम कम हो जाए."