मुंबई:घरेलू अर्थव्यवस्था में आर्थिक वृद्धि की गति सुस्त पड़ने की वजह से ही रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो में पहली बार 0.35 प्रतिशत की चौंकाने वाली कटौती की. सामान्य तौर पर केन्द्रीय बैंक चौथाई अथवा आधा फीसद की कटौती अथवा वृद्धि करता रहा है, लेकिन आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये इस बार लीक से हटकर यह कदम उठाया गया.
केन्द्रीय बैंक ने बुधवार को यह जानकारी दी. इस महीने की शुरुआत में जब चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक हुई तब मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में शामिल रिजर्व बैंक गवर्नर के दो साथियों और एक स्वतंत्र सदस्य ने रेपो दर में 0.35 प्रतिशत कटौती का पक्ष लिया. छह सदस्यीय इस समिति में दो अन्य स्वतंत्र सदस्यों ने 0.25 प्रतिशत कटौती के पक्ष में मत दिया था.
मौद्रिक नीति समीक्षा के परिणाम की घोषणा सात अगस्त की गई. इसमें रेपो दर को 0.35 प्रतिशत घटाकर 5.40 प्रतिशत पर ला दिया गया. इससे बैंकों की धन की लागत कम होती है, परिणामस्वरूप वह आगे कर्ज भी सस्ती दरों पर देने में सक्षम होते हैं.
रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक का ब्योरा बुधवार को जारी किया. इसमें कहा गया है कि गवर्नर शक्तिकांत दास ने घरेलू अर्थव्यवस्था की सुस्त पड़ती चाल को देखते हुये और वैश्विक आर्थिक परिवेश की उथल पुथल के मद्देनजर बड़ी कटौती का पक्ष लिया. गवर्नर ने कहा कि कमजोर पड़ती घरेलू मांग को बढ़ावा देने और निवेश गतिविधियों को समर्थन की जरूरत है.
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