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अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, भारतीय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए एक अवसर - भारतीय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए एक अवसर

जीजेईपीसी के चेयरमैन कोलिन शाह ने पीटीआई-भाषा से कहा कि अमेरिका के इस कदम की बारीकियों में न जाते हुए मुझे लगता है कि इससे भारत रत्न एवं आभूषण कारोबार के लिए अवसर पैदा होंगे.

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, भारतीय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए एक अवसर
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, भारतीय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए एक अवसर

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Published : Jul 25, 2020, 1:17 PM IST

कोलकाता: अमेरिका द्वारा इसी महीने हांगकांग का तरजीही व्यापार का दर्जा रद्द किए जाने से भारत के रत्न एवं आभूषण निर्यात क्षेत्र को उम्मीद की किरण नजर आ रही है. रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद (जीजेईपीसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह बात कही.

जीजेईपीसी के अधिकारियों ने बताया कि चीन ने हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया है. वहीं अमेरिका ने संकेत दिया है कि वह हांगकांग के उत्पादों पर शुल्क को 3.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत करने जा रहा है.

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जीजेईपीसी के चेयरमैन कोलिन शाह ने पीटीआई-भाषा से कहा कि अमेरिका के इस कदम की बारीकियों में न जाते हुए मुझे लगता है कि इससे भारत रत्न एवं आभूषण कारोबार के लिए अवसर पैदा होंगे.

अमेरिका के लिए भारत, फ्रांस और इटली के बाद हांगकांग और चीन रत्न एवं आभूषणों के आयात के सबसे बड़े गंतव्य हैं.

हांगकांग और चीन ने 2019 में अमेरिका को क्रमश: 98.08 करोड़ डॉलर और 262.21 करोड़ डॉलर के रत्न एवं आभूषणों का निर्यात किया था.

शाह ने कहा, "हांगकांग के साथ व्यापार में तरजीह देने के करार के समाप्त होने के बाद भारत के लिए कारोबार के नए अवसर पैदा होंगे. विनिर्माण कारोबार में चीन से भारत की ओर स्थानांतरित होने की क्षमता है."

उन्होंने कहा कि भारत पास कच्चे माल, श्रमबल और कौशल को लेकर लाभ की स्थिति है. इस क्षेत्र में हमारे पास 50 लाख का श्रमबल है. यह एक बड़ी छलांग लगाने और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में दुनिया का अग्रणी देश और व्यापार केंद्र बनने का अवसर है.

हालांकि, रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लाभ का गणित इतना सरल नहीं है. हांगकांग ओर चीन भी महत्वपूर्ण गंतव्य हैं. इसके अलावा भारत की कई हीरा और आभूषण कंपनियों के कार्यालय हांगकांग में हैं और अमेरिका के कदम से उनका कारोबार भी प्रभावित होगा.

(पीटीआई-भाषा)

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