मुंबई: रिजर्व बैंक के कर्मचारियों के संगठन ने शहरी सहकारी बैंकों पर दोहरा अधिकार क्षेत्र समाप्त करने और उसे आरबीआई के दायरे में लाने का बुधवार को सुझाव दिया. पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक में घोटाले के मद्देनजर अखिल भारतीय रिजर्व बैंक कर्मचारी संघ ने यह बात कही.
यूनियन ने यह भी कहा कि आरबीआई को सभी सहकारी बैंकों की मौके पर जाकर निगरानी करनी चाहिए. फिलहाल इनकी निगरानी सालाना आधार पर दूर बैठकर की जाती है. आरबीआई द्वारा पीएमसी में जनवरी से वित्तीय अनियमितताएं पाये जाने के बाद से बैंक 23 सितंबर से नियामकीय पाबंदी के दायरे में है. केंद्रीय बैंक ने 24 सहकारी बैंकों को अपने प्रशासक के अंतर्गत लाया है.
यूनियन ने कहा, "शहरी सहकारी बैंकों पर राज्यों की सहकारी समिति पंजीयक और आरबीआई का नियंत्रण है. यह दोहरा नियंत्रण व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए. इस दोहरे नियंत्रण से कुप्रबंधन की गुंजाइश बनती है. इन सहकारी बैंकों को बैंकों की तरह आरबीआई के दायरे में लाया जाना चाहिए."
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शहरी सहकारी बैंक सहकारी समितियों के रूप में राज्य सहकारी समिति कानून या बहु-राज्य सहकारी समिति कानून, 2002 के तहत पंजीकृत हैं. वे राज्यों की सहकारी समिति पंजीयक या सहकारी समितियों के केंद्रीय पंजीयक द्वारा नियंत्रित होते हैं. आरबीआई केवल उनके बैंक संबंधी कार्यों का नियमन और निगरानी करता है और फलस्वरूप प्रबंधन पर नियंत्रण कम होता है.
यूनियन ने कहा, "सभी सहकारी बैंकों खासकर उनके मुख्यालयों को आरबीआई के मौके पर जाकर निगरानी के दायरे में लाया जाना चाहिए. दूर से ही निगरानी की मौजूदा व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए क्योंकि धोखाधड़ी का पता लगाने में नियामक विफल रहा."
पिछले महीने आरबीआई ने पीएसमी पर छह महीने की प्रतिबंध लगाया. बैंक द्वारा रीयल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को अपने कुल कर्ज का 73 प्रतिशत (6,500 करोड़ रुपये) ऋण देने की बात पाये जाने के बाद यह कदम उठाया गया. बैंक ने यह कर्ज बिना उचित जांच पड़ताल के दी और वास्तविक कर्ज तथा एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) को छिपाया