नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 'प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020' में बदलाव करने को मंजूरी दे दी. इस बदलाव का उद्देश्य विधेयक का दायरा बढ़ाकर उन मुकदमों को शामिल करना है जो विभिन्न कर्ज वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) में लंबित हैं.
प्रत्यक्ष कर से जुड़े कानूनी विवादों में कमी लाने के इरादे से यह विधेयक इस महीने की शुरूआत में लोकसभा में पेश किया गया. इसमें आयुक्त (अपील) स्तर पर, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरणों (आईटीएटी), उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में लंबित कर विवादों को शामिल करने का प्रस्ताव है.
मंत्रिमंडल की बैठक में किये गये फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि डीआरटी में लंबित मामलों को भी अब इसमें शामिल करने का निर्णय किया गया है.
उन्होंने कहा कि विभिन्न प्राधिकरणों और न्यायालयों में 9 लाख करेाड़ रुपये के प्रत्यक्ष कर मामले लंबित हैं.