मुंबई: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने राज्यों को केंद्र से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व में कमी की भरपाई के लिए तीन विकल्प सुझाए हैं.
एसबीआई इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक द्वारा राज्यों के बॉंडपत्रों का मौद्रिकरण कर जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई की जा सकती है. दूसरा विकल्प है खर्च पूर्ति के लिये अधिक अग्रिम (डब्ल्यूएमए) उन्हें दिया जाये. तीसरा विकल्प राष्ट्रीय लघु बचत कोष (एनएसएसएफ) का सहारा लिया जा सकता है.
केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यों को चालू वित्त वर्ष के दौरान 2.35 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित जीएसटी कमी की भरपाई के लिये राज्यों को दो विकल्प दिये हैं.
केन्द्र ने राज्यों के समक्ष रिजर्व बैंक के साथ विचार विमर्श के बाद एक विशेष खिड़की से उचित दर पर कर्ज उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा है.
एसबीआई अर्थशास्त्रियों का कहना है कि केंद्र ने हालांकि राज्यों को 2.35 लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज लेने का विकल्प दिया है, लेकिन संविधान का अनुच्छेद 293 (3) राज्य सरकारों के कर्ज लेने पर कुछ अंकुश लगाता है.
रिपोर्ट में सुझाये गये विकल्पों पर कहा गया है कि रिजर्व बैंक राज्यों द्वारा जारी किये जाने वाले बॉंड अथवा ऋणपत्रों को खरीदकर उन्हें नकदी उपलब्ध कराये क्योंकि केंद्रीय बैंक सभी राज्य सरकारों का बैंकर भी है.