नयी दिल्ली: भारत और सऊदी अरब ने अपने आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने तथा ऊर्जा संबंधों को खरीददार और विक्रेता से आगे बढ़ाते हुए सामरिक गठजोड़ में तब्दील करने का संकल्प व्यक्त किया है.
सऊदी अरब, भारत में विभिन्न क्षेत्रों में 100 अरब डालर निवेश का अवसर देखता है. विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने यह बात बतायी. सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने बुधवार को कहा कि सऊदी अरब भारत में विभिन्न क्षेत्रों में 100 अरब डालर के निवेश का अवसर देखता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए सऊदी अरब के युवराज ने कहा कि साल 2016 में मोदी की यात्रा के बाद से सऊदी अरब 44 अरब डालर का निवेश कर चुका है.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया कर बताया कि सऊदी अरब, भारत में 100 अरब डालर का निवेश करेगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान द्वारा भारत में 100 अरब डालर का निवेश करने संबंधी घोषणा का स्वागत किया.
सऊदी अरब की ओर से यह निवेश ऊर्जा, तेलशोधन, पेट्रोकेमिकल्स, आधारभूत ढांचा जैसे क्षेत्रों में किया जायेगा. सऊदी अरब के युवराज की यात्रा और प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी बातचीत के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय में आर्थिक मामले के सचिव टी एस त्रिमूर्ति ने कहा कि सऊदी अरब द्वारा निवेश की यह प्रतिबद्धता भारत में निवेश के लिये उसके विश्वास को प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सऊदी अरब के युवराज की इस घोषणा का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने ऊर्जा के क्षेत्र में प्रथम संयुक्त उद्यम की स्थापना पर संतोष व्यक्त किया जो तेलशोधन और पेट्रोकेमिकल परियोजनाओं से जुड़ा है और जिसकी अनुमानित लागत 44 अरब डालर है.
दोनों पक्षों ने सामरिक गठजोड़ परिषद स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की जो भारत के प्रधानमंत्री और सऊदी अरब के युवराज के मार्गदर्शन में संचालित होगी और इसमें मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व होगा. इसके तहत द्विपक्षीय संबंधों के सभी आयामों को आगे बढ़ाया जायेगा. प्रधानमंत्री मोदी और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान के बीच बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किये.
इनमें 'नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड' में निवेश के लिये दोनों देशों ने एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये. इसके अलावा पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग पर भी एक सहमति पत्र (एमओयू) हुआ. दोनों देशों ने आवास के क्षेत्र में सहयोग के लिये भी एक एमओयू किया. भारत की इन्वेस्ट इंडिया और सऊदी अरब की जनरल इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी के बीच भी द्विपक्षीय निवेश संबंधों को बढ़ावा देने के लिये सहयोग ढांचा करार पर हस्ताक्षर किये गए.
प्रसार भारती एवं सऊदी ब्रॉडकास्ट कोऑपरेशन के बीच भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों के सभी विषयों पर व्यापक और सार्थक चर्चा की है. प्रधानमंत्री ने भारतीयों के लिए हज कोटे में वृद्धि के मकसद से सऊदी अरब के युवराज के प्रति आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा, ''हमने अपने आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का निश्चय किया है. हमारे अर्थतंत्र में सऊदी अरब से संस्थागत निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए, हम एक ढांचा स्थापित करने पर सहमत हुए हैं. मैं भारत के आधारभूत ढांचा क्षेत्र में सऊदी अरब के निवेश का स्वागत करता हूं.''
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे ऊर्जा संबंधों को सामरिक गठजोड़ में तब्दील करने का समय आ गया है. दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी और सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व में सऊदी अरब की भागीदारी दोनों देशों के ऊर्जा संबंधों को खरीददार और विक्रेता से बहुत आगे ले जाती है. मोदी ने कहा, ''हम अक्षय ऊर्जा के क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए हैं.''
प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में सऊदी अरब का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि सामरिक वातावरण के संदर्भ में दोनों देशों ने आपसी रक्षा सहयोग को मजबूत करने और उसका विस्तार करने पर भी सफल चर्चा की है. उन्होंने कहा कि व्यापार और पर्यटन को बढ़ाने हेतु सऊदी अरब के नागरिकों के लिए ई-वीजा का विस्तार किया जा रहा है. उन्होंने भारतीयों के लिए हज कोटे में वृद्धि के लिए आभार प्रकट किया और कहा कि 27 लाख भारतीय नागरिकों की सऊदी अरब में शान्तिपूर्ण और उपयोगी उपस्थिति दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है.
मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में सऊदी अरब, भारत के सबसे मूल्यवान सामरिक सहयोगियों में से है. उन्होंने कहा कि सऊदी अरब हमारे विस्तृत पड़ोस में है, एक करीबी दोस्त है और भारत की ऊर्जा सुरक्षा का महत्वपूर्ण स्रोत भी है.
(भाषा)