मुंबई: ग्रामीण मांग से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिल सकती है, लेकिन यह शहरी मांग का विकल्प नहीं हो सकती. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही.
रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 संकट की विपरीत परिस्थियों से उबरने में उद्योग और सेवा क्षेत्र को जब तक दिक्कत पेश आ रही है. तब तक कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था की गाड़ी दौड़ाने का इंजन बन सकता है.
हालांकि, ग्रामीण मांग का एक बड़ा हिस्सा टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं से अलग होता है, लेकिन जून 2020 में मोटरसाइकिल और ट्रैक्टर की बिक्री के आंकड़े प्रोत्साहन देने वाले हैं.
रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है, "भले देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान करीब 17 प्रतिशत है. लेकिन हमारा मानना है कि ग्रामीण मांग अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर उपभोग मांग को बढाने में मदद कर सकती है, लेकिन यह शहरी मांग का विकल्प नहीं हो सकती."