नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक मजदूरों की कमी के कारण आपूर्ति पक्ष की बाधाओं के साथ ही राजकोषीय घाटे और बाहरी कारणों के चलते देश में खुदरा महंगाई के अगले कुछ महीनों के दौरान उच्च स्तर पर बने रहने का अनुमान है.
एसबीआई की रिपोर्ट 'इकोरैप' में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) को सुझाव दिया गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति की गणना करते समय उत्पादों की ऑनलाइन कीमतों को भी ध्यान में रखा जाए, क्योंकि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद ज्यादातर लोग अपनी जरूरतों के लिए ऑनलाइन स्टोर पर भरोसा कर रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि एमओएसपीआई ने सेवाओं सहित अप्रासंगिक वस्तुओं को शामिल करते हुए खुदरा मुद्रास्फीति को कम करके आंका, और इस तथ्य को संज्ञान में नहीं लिया कि कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण उनकी खपत बहुत कम हो गई है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, जून में खुदरा मुद्रास्फीति 6.09 प्रतिशत थी. रिपोर्ट में कहा गया कि हमारे नए भारांश के आधार पर एसबीआई की गणना में मुद्रास्फीति के आंकड़े वास्तविक मुद्रास्फीति के मुकाबले बहुत अधिक हैं.