नई दिल्ली: माल एवं सेवाकर (जीएसटी) अधिकारियों की नजर उन छोटे रेस्त्रांओं और बी2सी कारोबारियों पर है जो कि ग्राहकों से कर वसूली करते हैं लेकिन उसे सरकारी खजाने में जमा नहीं करा रहे हैं. ऐसे मामलों से निपटने के लिये जीएसटी अधिकारी एक प्रणाली भी तैयार करने में लगे हैं.
कई उपभोक्ताओं ने एक मोबाइल एप 'इरिस पेरिडॉट' के जरिये शिकायत दर्ज कराई है कि छोटे रेस्त्रां में उनसे जीएसटी वसूला जा रहा है लेकिन इस कर को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया गया और न ही इन रेस्त्रांओं ने जीएसटी रिटर्न दाखिल किया.
इस एप को कई ग्राहकों ने डाउनलोड किया है. यह एप जीएसटी सुविधा प्रदाता द्वारा विकसित की गई है. इसमें कारोबारी अथवा सेवा प्रदाता के जीएसटी पहचान संख्या को स्कैन कर यह पता किया जा सकता है कि उस कारोबारी ने रिटर्न दाखिल किया है अथवा नहीं.
ये भी पढ़ें-जोमैटो 2020 तक 20 और वेयरहाउसों की स्थापना के लिए 56 करोड़ रुपये का करेगी निवेश
उल्लेखनीय है कि डेढ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले छोटे व्यवसायों को कंपोजीशन योजना लेने का विकल्प है. उन्हें प्रत्येक तिमाही रिटर्न दाखिल करनी होती है. लेकिन कंपोजीशन योजना अपनाने वाले कारोबारी ग्राहकों से जीएसटी नहीं वसूल सकते हैं. उन्हें अपने बिल अथवा चालान पर भी यह लिखना होगा कि वह कंपोजीशन योजना के तहत आते हैं इसलिये माल की आपूर्ति अथवा दी गई सेवा पर जीएसटी लेने के हकदार नहीं है.
कंपोजीशन योजना के तहत आने वाले व्यापारियों, कारोबारियों और विनिर्माताओं को अपने कुल कारोबार पर मात्र एक प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है. जबकि कंपोजीशन योजना के तहत आने वाले रेस्त्रांओं को पांच प्रतिशत और सेवा प्रदाताओं को छह प्रतिशत की दर से जीएसटी भुगतान की सुविधा दी गई है. इस राशि को वह ग्राहकों से नहीं वसूल सकते हैं.
एक अधिकारी ने पीटीआई- भाषा से कहा, "हमें उपभोक्ताओं से ऐसी कई शिकायतें मिलीं हैं कि जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली कई इकाइयां ग्राहकों से जीएसटी वसूल रहीं हैं. कुछ उपभोक्ताओं ने छोटे स्थानीय रेस्त्रांओं द्वारा जीएसटी वसूले जाने की शिकायत की है. ये रेस्त्रां जबकि कंपोजीशन योजना के तहत आते हैं."
अधिकारी ने कहा कि शिकायतों की संख्या काफी ज्यादा है. कर विभाग ऐसी प्रणाली पर काम कर रहा है जिससे यह पता लगाया जा सके कि कितने कर की चोरी हुई है. उसके बाद इन मामलों को फील्ड में काम करने वाले अधिकारियों के पास भेज दिया जायेगा.
अधिकारी ने कहा, इतनी बड़ी संख्या में शिकायतें होने जिनमें अपेक्षाकृत छोटी कर राशि का मामला है उपयुक्त संख्या में कार्यबल नहीं होने के कारण विभाग के लिये काफी दबाव की स्थिति बन गई है. उन्होंने कहा कि इसी तरह की शिकायतें हार्डवेयर, सैनिटरी वेयर, फर्नीचर, इलेक्ट्रिकल सामान जैसे कारोबारियों की भी मिल रही हैं.
पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर एवं लीडर (अप्रत्यक्ष कर) प्रतीक जैन ने कहा कि बी2सी के स्तर पर कर चोरी सरकार के लिये बड़ी चिंता की बात है.