हैदराबाद: कोरोना वायरस से उत्पन्न आपदा के बीच रिजर्व बैंक ने भी मोर्चो संभाला है. केन्द्रीय बैंक ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था में नकदी की तंगी दूर करने और कर्ज सस्ता करने के लिए अपनी फौरी नकदी दर रेपो और बैंकों के आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) में बड़ी कटौती जैसे कई उपायों की घोषणा की.
आरबीआई ने रेपो रेट में 75 आधार अंकों की कमी करके इसे 5.15 प्रतिशत से घटाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया है. आरबीआई के इस कदम से कर्ज लेने वालों को राहत मिलेगी.
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वहीं, रिवर्स रेपो दर में 0.90 प्रतिश्त की कमी कर इसे 4 प्रतिशत पर ला दिया. इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने सीमांत कर्ज सुविधा दर (एमएसएफ) और बैंक दर को 5.40 प्रतिश्त से कम कर 4.65 प्रतिशत कर दिया है. इससे भी बाजार में नकदी बढ़ेगी. इस कदम से बैंकों की ऋण जोखिम की भूख बढ़ सकती है.
तरलता समर्थन उपाय:
17 फरवरी से 18 मार्च, 2020 के बीच एक साल और तीन साल के कार्यकाल के लिए किए गए पांच दीर्घकालिक रेपो परिचालन (एलटीआरओ) के अलावा, उचित लागत (निश्चित रेपो दर) पर बैंकों को टिकाऊ तरलता प्रदान करने के लिए 1,25,000 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी. आरबीआई ने निर्बाध भुगतान और निपटान प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप के अपने मिशन मोड को जारी रखा.
सीआरआर में कटौती और नकद धन का प्रवाह बढ़ाने के अन्य उपायों से बैंकिंग जगत में 3.74 लाख करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध होगी. यह 28 मार्च से एक साल के लिये प्रभाव में रहेगा. इससे बाजार में 1.37 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी आने की उम्मीद है.
बता दें कि बैंकों के पास अधिक नकदी उपलब्ध हो इसके लिये उनके नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को एक प्रतिशत घटाकर तीन प्रतिशत पर ला दिया गया.
बैंक के कर्जदारों को राहत:
फिलहाल चल रहे संकट के बारे में यथार्थवादी और व्यावहारिक दृष्टिकोण लेते हुए रिजर्व बैंक ने कर्ज देने वाले सभी वित्तीय संस्थानों से ग्राहकों को कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई के भुगतान में तीन महीने की छूट देने को कहा है. इस फैसले से महामारी से पीड़ित उधारकर्ता समान मासिक किश्तों (ईएमआई) के भुगतान के दबाव से मुक्त होंगे.